31 कंप्यूटर्स जैसा तेज चलता था वशिष्ठ नारायण सिंह का दिमाग, 44 सालों से थे सिजोफ्रेनिया से पीड़ित
नई दिल्ली। देश के महान गणितज्ञ और विश्वपटल पर भारत को विशिष्ठ पहचान दिलाने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया, वे 74 साल के थे। अपनी ज़िंदगी में 44 साल तक वे मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित रहे।
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31 कंप्यूटर्स जैसा तेज था वशिष्ठ नारायण सिंह का दिमाग
कहा जाता है कि वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान वैज्ञानिक आंइस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी और उनका दिमाग 31 कंप्यूटर जैसा तेज चलता था, इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है, दरअसल नासा जब अपोलो की लॉन्चिंग करने जा रहा था तो लॉचिंग से ठीक निगरानी रख रहे 31 कंप्यूटर्स कुछ समय के लिए एकदम बंद हो गए थे। कंप्यूटर के ठीक होने तक वशिष्ठ नारायण सिंह ने कुछ गणनाएं की थी , जो कि एकदम सही निकली क्योंकि कंप्यूटर्स ठीक होने पर पता चला कि दोनों की गणना एक थी।
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जन्म और शिक्षा
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपुर जिला में बसंतपुर नाम के गांव में हुआ था। डाक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह ने सन् 1962 बिहार में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। पटना विज्ञान महाविद्यालय (सायंस कॉलेज) में पढ़ते हुए उनकी मुलाकात अमेरिका से पटना आए प्रोफेसर कैली से हुई। उनकी प्रतिभा से प्रभावित हो कर प्रोफेसर कैली ने उन्हे बर्कली आ कर शोध करने का निमंत्रण दिया। 1963 में वे कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में शोध के लिए गए। 1969 में उन्होने कैलीफोर्निया विश्वविघालय में पी.एच.डी. प्राप्त की। चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर किये गए उनके शोध कार्य ने उन्हे भारत और विश्व में प्रसिद्ध कर दिया।
खास बातें
- उन्होंने नासा में एक गणितज्ञ के रूप में काम किया था, बाद में उनका वहां मन नहीं लगा और वे 1971 में वापस भारत लौट आए।
- इसके बाद उन्होंने पहले IIT कानपुर, बॉम्बे, और फिर ISI कोलकाता में नौकरी की।
- उनका विवाह साल 1973 में वंदना रानी सिंह के साथ हुआ. अपनी शादी के कुछ समय बाद ही वे मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हो गए और कुछ समय बाद उनकी पत्नी ने उनसे तलाक ले लिया था।