लाला लाजपत राय की Biography: मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी...
नई दिल्ली। भारत आज खुली हवा में सांस ले रहा है और निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है लेकिन आप औऱ हम इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं कि इस आजादी के लिए कितने शूरवीरों ने अपना लहू बहाया है।
डॉ. राम मनोहर लोहिया की Biography: जिन्दा कौमें बदलाव के लिए 5 साल का इंतजार नहीं करतीं
ऐसे ही एक वीर सपूत का नाम है लाला लाजपत राय, जिन पर जुल्म करते-करते अंग्रेजी हुकूमत की लाठियां टूट गईं लेकिन वो लाला लाजपत राय के इरादों को नहीं तोड़ पाए।
आइए आजादी के इस नायक के अमर जीवन पर डालते हैं एक नजर...
प्रारंभिक जीवन
लाला लाजपत राय का जन्म पंजाब के मोगा जिले में एक हिंदू परिवार में हुआ था। इन्होंने वकालत की शिक्षा प्राप्त की थी इसलिए अपने शुरूआती दिनों में इन्होंने हरियाणा के हिसार और रोहतक में कुछ दिनों तक वकालत भी की लेकिन आजादी का ख्वाब देखने वाले वीर लाल का मन कहां कचहरी में लगने वाला था इसलिए इन्होंने वकालत छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ज्वाइन कर ली।
लाल-बाल-पाल थे त्रिमूर्ति
इन्हें कांग्रेस पार्टी के गरम दल के प्रमुख नेताओं में से गिना जाता था। इनकी बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल के साथ अच्छी बनती थी इसलिए इस त्रिमूर्ति को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाता था। इन्हीं तीनों नेताओं ने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की मांग की थी जो बाद में पूरे देश की मांग और आवाज बन गई थी। इन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज के लिए काफी काम किया था। यही नहीं इन्होंने हंसराज के साथ दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रसार किया, जिन्हें आजकल डीएवी स्कूल्स व कालेज के नाम से जाना जाता है। लालाजी ने अनेक स्थानों पर अकाल में शिविर लगाकर लोगों की सेवा भी की थी।
मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी...
30 अक्टूबर 1928 को इन्होंने लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध आयोजित एक विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये। उस समय इन्होंने कहा था कि मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी और वही हुआ भी, लालाजी के बलिदान के 20 साल के भीतर ही ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त हो गया। 17 नवंबर 1928 को इन्हीं चोटों की वजह से इनका देहांत हो गया।
ब्रिटिश पुलिस अधिकारी साण्डर्स की हत्या
लाला जी की मृत्यु से सारा देश आक्रोशित हो उठा और चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी की मौत का बदला लेने का निर्णय किया, जिसके चलते ही 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी साण्डर्स की हत्या हुई थी और इसी कारण इस हत्या को अंजाम देने वाले देशभक्त भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को फांसी के तख्ते पर लटका दिया गया था।
पंजाब केसरी कहा जाता है...
लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी। लालाजी ने हिन्दी में शिवाजी, श्रीकृष्ण और कई महापुरुषों की जीवनियां भी लिखी थीं, उन्होने देश में और विशेषतः पंजाब में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में बहुत सहयोग दिया था।