Lal Bahadur Shastri 52nd Death Anniversay : वो 'लाल' जो सच में बहादुर था... जानिए उनसे जुड़ी खास बातें
नई दिल्ली। आज देश के लाल और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 52वीं पुण्यतिथि है। देश को 'जय जवान और जय किसान' का नारा देने वाले महान इंसान को पूरा देश आज अपनी तरह से याद कर रहा है। उनके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया था कि हम शास्त्री जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनकी त्रुटिहीन सेवा और साहसी नेतृत्व को आने वाली पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शास्त्री जी के राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता से संबद्ध एक कथन को ट्वीट करते हुए उन्हें श्रद्धाजंलि दी है।
जन्म
एक पथ-प्रदर्शक तो एक आदर्श व्यक्तित्व शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वह गांधी जी के विचारों और जीवनशैली से बेहद प्रेरित थे।उन्होंने गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय देश सेवा का व्रत लिया था और देश की राजनीति में कूद पड़े थे। लाल बहादुर शास्त्री जाति से श्रीवास्तव थे लेकिन उन्होने अपने नाम के साथ अपना उपनाम लगाना छोड़ दिया था क्योंकि वह जाति प्रथा के घोर विरोधी थे।
'शास्त्री' काशी विद्यापीठ द्वारा दी गई उपाधि
उनके नाम के साथ जुड़ा 'शास्त्री' काशी विद्यापीठ द्वारा दी गई उपाधि है। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होने 2 साल तक काम किया। उनका प्रधानमंत्रित्व काल 9 जून 1964 से 11जनवरी 1966 तक रहा।
मृत्यु
शास्त्री जी की मृत्यु यूएसएसआर के ताशकंद में हुई थी। ताशकंद की सरकार के मुताबिक शास्त्री जी की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई थी पर उनकी मौत का कारण हमेशा संदिग्ध रहा।
9 साल तक जेल में
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में देश के दूसरे प्रधानमंत्री 9 साल तक जेल में रहे। असहयोग आंदोलन के लिए पहली बार वह 17 साल की उम्र में जेल गए, लेकिन बालिग न होने की वजह से उनको छोड़ दिया गया।
दहेज विरोधी
शास्त्री जी दहेज विरोधी थे, कहा जाता है कि उन्होंने अपनी शादी में दहेज लेने से इनकार कर दिया था लेकिन ससुर के बहुत जोर देने पर उन्होंने कुछ मीटर खादी के कपड़े दहेज के तौर पर लिए थे, उनकी नजर में कन्या ही सबसे बड़ा धन थी।
Read Also: रॉकेट मैन के नाम से विख्यात सिवान बने ISRO के नए अध्यक्ष, जानिए उनके बारे में विस्तार से