जानें क्या होता है येती जिसे देखने का दावा कर रही है इंडियन आर्मी
नई दिल्ली। भारतीय सेना ने मंगलवार को एक ट्वीट कर (Indian Army) दावा किया कि उसकी पर्वतारोहियों की टीम ने इस माह की शुरुआत में मकालू बेस कैंप के पास हिममानव यानी येती के पैरों के निशान देखे हैं। सेना की ओर से ट्विटर हैंडल पर इसकी फोटोग्राफ भी पोस्ट की गई हैं। सेना की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक उनकी माउंटेरियंग एक्पीडिशन टीम ने बर्फ में विशाल मानव के पैरों के निशान देखे हैं। हिमालयन रेंज में येती देखे जाने की यह पहली घटना है। यह पहली घटना नहीं है जब इस तरह का कोई दावा किया गया है बल्कि पहले भी ऐसी बातें हुई हैं। आखिर यह येती क्या होता है और क्यों इसका जिक्र आते ही एक अजीब सी जिज्ञासा मन में जागने लगती है।
कहां हैं मकालू नेशनल पार्क
अपनी ट्वीट में सेना ने बताया है कि उसकी माउंटेरियंग टीम ने करीब 35x15 इंच की साइज वाले पैरों के निशान बर्फ में देखे हैं। सेना की ओर से बताया गया है कि यह घटना नौ अप्रैल की है। सेना ने यह भी बताया है कि विशाल मानव के देखे जाने की घटना मकालू-बारून नेशनल पार्क में हुई है। ट्वीट के साथ सेना ने कई कुछ फोटोग्राफ्स भी पोस्ट की हैं। मकालू बारून नेशनल पार्क नेपाल में हैं और सन. 1992 में इसकी स्थापना हुई थी। यह दुनिया का इकलौता ऐसा क्षेत्र है जो 8,000 मीटर की ऊंचाई पर है और जिसे प्रोटेक्ट करके रखा गया है। माना जाता है कि यह हिमालय, साइबेरिया, मध्य और पूर्वी एशिया में रहता है। इस प्राणी को आमतौर पर एक किंवदंती के रूप में माना जाता है क्योंकि इसके अस्तित्व का कोई ठोस सबूत नहीं है। येति को लोग घिनौना स्नोमैन भी कहा जाता है।
क्या होता है येती
येती के बारे में कुछ भी कह पाना अभी मुश्किल है। इस बात का फैसला अभी तक दुनिया में कहीं नहीं हो सका है कि येती वाकई दुनिया में हैं या ये सिर्फ कहानियों का हिस्सा है। कई लोगों की ओर से दावा किया गया है कि उन्होंने विशाल हिममानव को देखा है। यह हिममानव बिल्कुल वनमानुष या गोरिल्ला जैसा नजर आता है, ऐसा कुछ लोगों का कहना है। अभी तक इन दावों को खारिज करने वाले तथ्य भी पेश नहीं किए जा सके हैं। येती की कहानी लगभग हजारों साल पुरानी बताई जाती है। लेकिन 19वीं सदी में इसका जिक्र काफी विस्तृत तौर पर होने लगा। वैज्ञानिक हालांकि इसे मानने से इनकार कर देते हैं।
पहली बार 1921 में आया जिक्र
सन् 1921 से पहले येती के बारे में किसी ने कुछ नहीं सुना था। उस समय लेफ्टिनेंट कर्नल चार्ल्स हॉवर्ड-बरी ने अल्पाइन क्लब और रॉयल जियोग्राफिकल सोसाइटी ने एक साथ ज्वॉइन्ट 'एवरेस्ट रिकॉनिसन्स एक्सपिडिशन' को लिखा था। इसी किताब में हॉवर्ड-बरी 21,000 फीट ने एक ऐसे ही हिममानव का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि उन्हें कुछ ऐसे पैरों के निशाने मिले जिन्हें देखकर उन्हें लगा कि ये मानों किसी बहुत बड़े शिकारी भेड़िये के थे। हाालांकि कुछ ही समय बाद उन्होंने इसे एक 'बर्फीले मानव' के तौर पर बताया है। यह बात उन्होंने अपने गाइड के हवाले से लिखी थी। उनके गाइड ने बताया था कि वे निशान मेतोह-कांगमी के हैं। मेतोह का मतलब होता है आदमी जैसा दिखने वाला भालू और कांगमी का मतलब बर्फों पर पाया जाने वाला इंसान।
एक रहस्मय प्राणी येती
टेलीग्राफ यूके की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1925 में एनए तोम्बाजी नाम के एक फोटोग्राफर ने येती के बारे में बताया था। उन्होंने बताया था, 'उसकी आकृति बिल्कुल इंसान के जैसी थी। वह सीधा खड़ा होकर चल रहा था। बर्फ के बीच उसका गहरा रंग नजर आ रहा था। जहां तक मैं देख पाया, उसने कोई कपड़ा नहीं पहन रखा था।' हिमालय की रेंज में पूर्व में भी पर्वतारोही और वैज्ञानिकों की ओर से विशाल हिममानव को देखे जाने की बात कही गई है। यह भी माना जाता गया है कि यह एक रहस्यमय प्राणी होता है।
कुछ भी साबित करना मुश्किल
बहुत से अभियान दलों की ओर से भी येती देखे जाने का दावा किया गया है और अपनी बातों को साबित करने के लिए उन्होंने सुबूत भी दिए। कहा जाता है कि सन् 1950 के दशक में येती को पहली बार देखा गया था। उस समय वैज्ञानिकों तथ्यों के साथ इस बात को साबित करने के लिए सुबूत नहीं दिए जा सके थे। यहां तक कि डीएनए टेस्ट्स भी हाई-एंड टेक्नोलॉजी भी इस बात को साबित करने में पीछे रह गईं।2017 में वैज्ञानिकों ने हिमाचल से येति को कुछ सेंपल कलेक्ट किए थे. लेकिन आखिर में पाया गया था कि ये येति नहीं बल्कि भालू है। 2008 में अमेरिका के दो शख्स ने दावा किया था कि उन्होंने आधे इंसान-आंधे बंदर जैसे शख्स को देखा है लेकिन बाद में वो रबर का गोर्रिला सूट निकला।