#BharatBandhSCST: एससी-एसटी एक्ट में हुए किन बदलावों पर मचा है बवाल, जानिए विस्तार से
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट पर दिए गए फैसले के खिलाफ आज दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया है। केंद्र सरकार ने भी इस मसले पर आज कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। बंद के कारण पंजाब में सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर एससी/एसटी ऐक्ट को लेकर पूरा विवाद है क्या जिस पर इतना बवाल मचा है, चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से...
20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने नई गाइडलाइन जारी की
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को महाराष्ट्र के एक मामले को लेकर एससी एसटी एक्ट में नई गाइडलाइन जारी की थी, जिस पर दलित संगठनों ने बवाल मचा दिया, उनका कहना है कि इस तरह से तो कभी दलितों का शोषण बंद नहीं होगा। हालांकि ने सुप्रीम कोर्ट ने जो दलील दी है उसके हिसाब उसने ऐसा कानून के दुरुपयोग होने से बचने के लिए किया है।
क्या हैं नए निर्देश
- देश की सर्वोच्च अदालत की नई गाइडलाइन के मुताबिक एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी।
- आरोपों की डीएसपी स्तर पर जांच होगी।
- यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तभी आगे की कार्रवाई होगी।
- ये गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने जारी किए हैं।
- नए निर्देशों को जारी करते हुए जस्टिस ने कहा था कि जिस वक्त ये कानून बना था तब किसी को अंदेशा ही नहीं था कि इसका मिस-यूज भी हो सकता है।
- हमने देश के कई मामलों की जांच में पाया कि इस एक्ट का दुरुपयोग हुआ है।
- नए निर्देशों की लिस्ट में सरकारी कर्मचारी भी हैं।
- अगर कोई सरकारी कर्मचारी किसी दलित के साथ गलत व्यवहार करता है तो संबधित विभागीय अधिकारी की आज्ञा लेनी होगी।
- और आम आदमियों के लिए गिरफ्तारी जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की लिखित अनुमति लेनी होगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी है।
एक्ट का दुरुपयोग ना हो इसलिए जारी किए गए नए निर्देश
नए निर्देशों की लिस्ट में सरकारी कर्मचारी भी
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