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'तनाव आपको खत्म करे इससे पहले आप उसे खत्म कर दो'

By एम रज़ाक रहमान
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बैंगलुरू। सब जानते हैं कि तनाव बहुत खतरनाक है, लेकिन कई मामलों में यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है। कुछ तो इसके आदि भी हैं लेकिन जब करो या मरो की स्थिति आती है तो तनाव मरने का कारण बन जाता है। और कई बार तो यह जानने में कि यह कितना खतरनाक है, बहुत देर तक हो जाती है।

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तनाव से होने वाली बीमारियों में दिल, पक्षाघात, मधुमेह और मोटापा प्रमुख है। यह एक अनुमान है कि चार में से तीन डॉक्टर तनाव से ग्रस्त बीमारियों का इलाज करते है। डॉ. लिसा रैंकिन, माइंड ओवर मेडिसिन की लेखिका, लिखती हैं कि हमारा शरीर जानता है कि किस प्रकार खंडित प्रोटीन को ठीक किया जाता है, बढ़ती आयु को कैसे रोका जाता है और संक्रमण से कैसे लड़ा जाता है।

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वह यहां तक भी जानता है कि किस प्रकार घावों को ठीक किया जाता है, त्वचा की देखभाल कैसे की जाती है और टूटी हुई हड्डी कैसे जोड़ी जाती है। लेकिन यह प्राकृतिक रुप से ठीक करने वाले मैकेनिज्म को सबसे ज्यादा नुकसान तब होता है, जब कोई तनावग्रस्त रहता है।

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नकारात्मक प्रभाव

नकारात्मक प्रभाव

सबसे अहम बात यह कि तनाव हमारी भावना, सोच और व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव डाल कर ऐसा जाल बुनता है कि उस से निकलना ही मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसे बंद करने का स्विच खोजना इतना कठिन नही है।

 श्री श्री रविशंकर

श्री श्री रविशंकर

विश्व प्रसिध्द आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर, ने विश्व भर में लाखों लोगों को तनावमुक्त जीवन जीना सीखाया है, उन्होंने कहा कि कम समय में और कम ऊर्जा से अत्यधिक कार्य करना ही तनाव है।

कार्य के बोझ को कम कर सकते हैं

कार्य के बोझ को कम कर सकते हैं

जैसा कि हम जानते हैं कि ना तो हम कार्य के बोझ को कम कर सकते हैं और ना ही समय को बढ़ा सकते हैं, तो हमारे पास सिर्फ ऊर्जा को बढ़ाने का ही विकल्प बचता है। जब हम ऊर्जा से पूर्ण हो और उत्साह से भरे हों तो कोई भी चुनौति का सामना कर सकते हैं।

बीस मिनट्स का ध्यान आठ घंटे की नींद के बराबर

बीस मिनट्स का ध्यान आठ घंटे की नींद के बराबर

योग और ध्यान के माध्यम से कोई भी अपने भीतर के शक्ति केंद्र को आरंभ कर अपने शरीर को बदल सकता है। यह अब यह जानने मे आया है कि ध्यान के माध्यम से हम सोने से ज्यादा ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। बीस मिनट्स का ध्यान आठ घंटे की नींद के बराबर है। जिसके लिए आप आध्यात्मिक अभ्यास जैसे ध्यान, योग, प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया ही करें।

सकारात्मक भावनायें

सकारात्मक भावनायें

एम्स के अध्ययन में पता चला है कि निरंतर सुदर्शन क्रिया से क्रोध, तनाव, और ईष्र्या के स्थान पर सकारात्मक भावनायें जागती है। इस से रक्त में घातक कालेस्ट्राल कम होता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ एंड न्यूरो साइंसेज़ (निमहांस), बैंगलोर के अध्ययन में पता चला है। कि जो श्वसन क्रिया आर्ट ऑफ लिविंग में सीखायी जाती है, वह अवसाद से बाहर निकलने की दवा के समान है और उसका कोई साइड इफैक्ट भी नही है।

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English summary
Kill stress before it kills you, As it’s almost impossible to reduce the workload and increase the time, the only option we are left is to increase the energy level within us said Sri Sri Ravi Shankar.
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