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Kargil vijay Diwas: 'दिल मांगे मोर' कहने वाले 'कारगिल शेर बत्रा' का ये था आखिरी खत, जानिए क्या लिखा था?

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नई दिल्‍ली, 26 जुलाई। पूरा देश आज कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1999 में आज ही के दिन भारत के वीर सपूतों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था। कारगिल विजय दिवस पर परमवीर कैप्टन विक्रम बत्रा को भला कौन भूल सकता है। अपनी वीरता, जोश, दिलेरी और नेतृत्व क्षमता से 24 साल की उम्र में ही सबको अपना दीवाना बना देने वाले इस वीर योद्धा को 15 अगस्त 1999 को वीरता के सबसे बड़े पुरस्कार 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया था, कारगिल युद्ध की वीरगाथा उनको याद किए बिना अधूरी है।

देश का वीर सपूत का जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ था...

देश का वीर सपूत का जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ था...

विक्रम बत्रा का जन्म हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर से सटे बंदला में 9 सितंबर, 1974 को हुआ था, विक्रम बत्रा ने डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ में विज्ञान विषय में स्नातक की पढ़ाई की थी, स्नातक करने के बाद विक्रम बत्रा का चयन सीडीएस के जरिए सेना में हो गया था।

जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति

जुलाई 1996 में उन्होंने भारतीय सेना अकादमी देहरादून में प्रवेश लिया और उन्हें 6 दिसंबर 1997 को जम्मू के सोपोर जगह पर सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली थी, उन्होंने 1999 में कमांडो ट्रेनिंग के साथ कई प्रशिक्षण भी लिए। 1 जून 1999 को उनकी टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया था।

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विक्रम को कैप्टन बना दिया गया...

विक्रम को कैप्टन बना दिया गया...

इस दौरान बत्रा की टुकड़ी ने हम्प और राकी नाब स्थानों को जीतकर अपनी बहादुरी का प्रमाण दे दिया था और इसी के बाद विक्रम को कैप्टन बना दिया गया और उन्हें श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे महत्त्वपूर्ण 5,140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने का जिम्मा दिया गया, बेहद दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को अपने कब्जे में ले लिया था।

 विक्रम बत्रा ने 16 जून को एक खत लिखा था...

विक्रम बत्रा ने 16 जून को एक खत लिखा था...

आपको बता दें कि विक्रम बत्रा जुड़वा भाई थे, उनके भाई का नाम है विशाल बत्रा, जिसे विक्रम बत्रा ने 16 जून को एक खत लिखा था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि 'प्रिय कुशु, मैं पाकिस्तानियों से लड़ रहा हूं, जिंदगी खतरे में है, यहां कब, क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है, मेरी बटालियन के एक अफसर आज शहीद हो गए, नार्दन कमांड में सभी की छुट्टी कैंसिल हो गई है। पता नहीं कब वापस आऊंगा लेकिन तुम मां और पिताजी का ख्याल रखना, यहां कुछ भी हो सकता है, जय हिंद, जय भारत।'

'मुझे गर्व है कि विक्रम बत्रा मेरा बेटा है'

'मुझे गर्व है कि विक्रम बत्रा मेरा बेटा है'

हाथ में मेडल, गर्व से भरा सीना, भीगी पलकों, भरे गले लेकिन बुलंद आवाज में विक्रम के पिता जीएल बत्रा ने कहा था, जिस उम्र में नौजवान रंगीन सपने देखते हैं, ख्वाबों में जीते हैं, उस उम्र में मेरे बेटे ने वो काम किया, जिसे शायद लोग उम्र बीत जाने पर नहीं कर सकते हैं, उन्होंने बताया था कि मात्र 18 साल की उम्र में ही विक्रम बत्रा ने अपनी आंखें दान कर दी थी। जीएल बत्रा ने कहा था कि उन्हें गर्व है कि वो ऐसे बेटे के पिता हैं।

विक्रम बत्रा का किरदार अभिषेक बच्चन ने निभाया

विक्रम बत्रा का किरदार अभिषेक बच्चन ने निभाया

देश की वीरगाथा पर बाद में जेपी दत्ता ने एक हिंदी फिल्म 'एलओसी' बनाई थी, जिसमें विक्रम बत्रा का किरदार अभिषेक बच्चन ने निभाया था, जिसे कि काफी तारीफें मिली थीं।

Comments
English summary
Dil Mange More कहने वाले 'कारगिल शेर बत्रा' का ये था आखिरी खत, Kargil war hero Captain Vikram Batra was still celebrating his successful mission in capturing Point 5140, a strategically important mountain peak in the Drass sector,when he wrote last letter to his parents in Himachal Pradesh.
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