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कैलाश पर चढ़ते ही होता है दिशाभ्रम, बढ़ने लगते हैं नाखून और बाल, जानें रहस्‍य

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नई दिल्ली। कैलाश मानसरोवर केवल एक तीर्थ नहीं बल्कि लोगों की आस्था का मानक है, कहते है सारे 'तीरथ सौ बार, कैलाश यात्रा एक बार' इसलिए हर भक्त की दिली ख्वाईश होती है कि वो अपने जीवन के अंतिम सांस से पहले एक बार कैलाश-मानसरोवर की यात्रा जरूर कर ले।

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म के लिए खास महत्व रखने वाली मानसरोवर तिब्बत की एक झील है। जो कि इलाके में 320 वर्ग किलोमाटर के क्षेत्र में फैली है। इसके उत्तर में कैलाश पर्वत और पश्चिम में राक्षसताल है। यह समुद्रतल से लगभग 4556 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी त्रिज्या लगभग 88 किलोमीटर है और औसत गहराई 90 मीटर है।

कैलाश पर्वत पर समाधि लगाई

कैलाश पर्वत पर समाधि लगाई

हिंदू धर्म-ग्रंथों के हिसाब से तीनों लोकों के स्वामी भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर ही समाधि लगाई थी। जबकि तिब्बती बौद्धों का मानना ​​है कि परम आनन्द के प्रतीक बुद्ध डेमचोक (धर्मपाल) कैलाश पर्वत के अधिष्ठाता देव हैं और वे कैलाश पर्वत पर ही निवास करते हैं। जैन धर्म के अनुयायी कैलाश को अष्टापद कहते हैं। उनका मानना है कि प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था।

क्या है मान्यता?

क्या है मान्यता?

  • हिंदू मान्यता के मुताबिक मानसरोवर झील सर्वप्रथम भगवान ब्रह्मा के मन में उत्पन्न हुई थी इसलिए इसका नाम मानसरोवर है।
  • ये मानस और सरोवर से मिलकर बनी है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है - मन का सरोवर।
  • कहा जाता है कि यहां देवी सती के शरीर का दांया हाथ गिरा था। इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है।
  •  रूस के नेत्र रोग विशेषज्ञ एर्नस्ट मुल्दाशिफ

    रूस के नेत्र रोग विशेषज्ञ एर्नस्ट मुल्दाशिफ

    वैसे कहा जाता है कि आज तक कोई मनुष्य कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है। जिसने भी कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की, उसकी मृत्यु हो गई। इस पर्वत से जुड़ी काफी दंतकथाएं भी काफी प्रचलित हैं, इन्हीं कथाओं की सच्चाई का पता लगाने के लिए 1999 में रूस के नेत्र रोग विशेषज्ञ एर्नस्ट मुल्दाशिफ ने यह तय किया कि वे कैलाश पर्वत के रहस्यों को खोलने के लिए उस इलाके में जाएंगे, जिसके लिए उन्होंने एक टीम बनाई थी, इस टीम में पर्वतारोहण टीम में भूविज्ञान और भौतिकी के विशेषज्ञ और इतिहासकार शामिल थे।

    मानव निर्मित पिरामिड

    मानव निर्मित पिरामिड

    एर्नस्ट मुल्दाशिफ ने ये दावा किया कि कैलाश पर्वत एक विशाल मानव निर्मित पिरामिड है, जिसका निर्माण प्राचीन काल में किया गया था। यह पिरामिड कई छोटे-छोटे पिरामिडों से घिरा हुआ है जो कि पारलौकिक गतिविधियों का केन्द्र है, यही नहीं ये गीज़ा और टिओथ्युआकान (मैक्सिको) के पिरामिडों से भी जुड़ा हुआ है, लेकिन डॉक्टर के इस दावे को बाद में रूसी-अंग्रेजी द्विभाषी वेबसाइट ने खारिज कर दिया था।

    एर्नस्ट मुल्दाशिफ का जन्म 1948 में

    एर्नस्ट मुल्दाशिफ का जन्म 1948 में

    आपको बता दें कि एर्नस्ट मुल्दाशिफ का जन्म 1948 में हुआ था और वे ऊफा में आंखों का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी करने वाले एक क्लीनिक के मालिक हैं।

    कैलाश पर्वत और रहस्यमयी घटनाएं

    कैलाश पर्वत और रहस्यमयी घटनाएं

    वैसे कैलाश पर्वत को लेकर काफी रहस्यमयी बातें भी कही जाती है, एक पर्वतारोही ने अपनी किताब में लिखा था कि इस पर्वत पर रहना असंभव था, वहां किसी अनजान वजह से दिशा भ्रम होता है और दिशा का ज्ञान नहीं रहता है, वहां पर चुंबकीय कंपास भी धोखा देने लगता है, शरीर के बाल और नाखून भी ज्यादा तेजी से बढ़ने लगते हैं वह जगह बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव है।

    ये जगह बेहद पावन, शांत और शक्ति देने वाली है

    ये जगह बेहद पावन, शांत और शक्ति देने वाली है

    वैसे कैलाश मानसरोवर के पीछे कहानी जो भी हो लेकिन इसमें किसी को शक नहीं ये जगह बेहद पावन, शांत और शक्ति देने वाली है, धर्म चाहे जो भी हो, सच तो यही है, इस जगह खुद बा खुद सिर्फ श्रद्धा से सिर झुकता है।

    कुछ विवाद भी जुड़े...

    कुछ विवाद भी जुड़े...

    वैसे इस बार कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर काफी विवाद भी हुआ क्योंकि कैलाश मानसरोवर यात्रा को चीन की ओर से रोक दिया गया था, हालांकि इसके पीछे चीन ने दलील दी कि प्राकृतिक कारणों से ये यात्रा रोकी गई लेकिन इस पर विश्व हिंदू परिषद काफी भड़क गया था। उसने कहा कि मानसरोवर यात्रियों को लौटाने वाले चीन की वस्तुओं का बहिष्कार होना चाहिए। प्राकृतिक कारणों का बहाना बनाने वाले चीनी अधिकारियों द्वारा किए गए पत्र व्यवहार और जारी बयानों से अब यह स्पष्ट हो गया है कि इस महत्वपूर्ण यात्रा को रोकने का एक मात्र कारण क्षेत्रीय विस्तार की अमिट भूख और दादागीरी ही है।

English summary
Dr Ernst Muldashev, a Russian ophthalmologist based in Ufa, came up with a theory that Mount Kailash in Tibet is actually an ancient manmade pyramid that is surrounded by smaller pyramids and is linked to pyramids in Giza and Teotihuacan.
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