पं. नेहरू का कहना था- आज का बचपन जैसा होगा, कल की जवानी वैसी ही होगी, पढ़ें दिल छू लेने वाली कहानी
नई दिल्ली। आज भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन है, इस मौके पर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनके समाधि स्थल शांति वन जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पंडित नेहरू को उनकी जयंती पर याद किया। आपको बता दें कि पंडित नेहरू को बच्चे बहुत प्रिय थे और इसी वजह से उनका जन्मदिन बालदिवस के रूप में मनाया जाता है।
नेहरू करते थे बच्चों से बहुत प्यार
वैसे तो नेहरू से जुड़े ऐसे बहुत सारे रोचक किस्से हैं लेकिन बच्चों से जुड़ी उनकी ये कहानी दिल को छू लेने वाली है, दरअसल एक बार पंडित नेहरू को बरेली के पास स्थित जेल की तरफ से दौरे का निमंत्रण भेजा गया, नेहरू ने भी निमंत्रण स्वीकार कर लिया, जिसके बाद जेल के अंदर बाल कैदियों में गजब का उत्साह आ गया, वो बहुत खुशी-खुशी अपने पीएम के आने का इंतजार करने लगे लेकिन तभी ऐन मौके पर प्रधानमंत्री कार्यालय से सूचना आयी कि चाचा नेहरू व्यस्तता के चलते जेल नहीं आ सकेंगे।
बच्चों ने गाया राष्ट्रगान और रूक गए पंडित नेहरू
जिसके बाद बच्चों को काफी निराशा हुई, लेकिन वो चाचा की कमजोरी जानते थे। दरअसल उसी रास्ते से पंडित नेहरू को नैनीताल जाना था इसलिए बरेली जेल की ओर से उन्हें आमंत्रित किया गया था इसलिए जैसे ही प्रधानमंत्री का काफिला जेल के पास से गुजर रहा था, बच्चों ने जेल के गेट के पास खड़े होकर राष्ट्रगान शुरू कर दिया। खुली गाड़ी में चल रहे चाचा नेहरू राष्ट्रगान सुनते ही कार से उतर गए और वहीं खड़े हो गए।
बच्चों के प्रिय थे 'चाचा नेहरू'
राष्ट्रगान खत्म होते ही उनकी नजर अलग-अलग वेशभूषाओं में सजे बच्चों पर पड़ी। उनकी आंखे नम हो गईं और वो आगे बढ़े और जेल में सजा काट रहे उन बच्चें को गले लगा लिया। नेहरू को बच्चों से बेहद लगाव था, बच्चे उन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' कहकर बुलाते थे।
'आज का बचपन जैसा होगा, कल की जवानी वैसी ही होगी'
नेहरू का मानना था कि आज का बचपन जैसा होगा, कल की जवानी वैसी ही होगी मतलब नींव सही होगी, तो मकान खुद ब खुद मजबूत बन जाएगा। वो कहते थे कि देश तभी विकास के पथ पर आगे बढ़ सकता है, जब उस देश के बच्चों का सही तरीके से विकास हो।
बच्चे
ही
राष्ट्र
की
आत्मा
हैं
बचपन
एक
ऐसी
अवस्था
होती
है,
जहां
जाति-धर्म-क्षेत्र
कोई
मायने
नहीं
रखते,
बच्चे
ही
राष्ट्र
की
आत्मा
हैं
और
इन्हीं
पर
अतीत
को
सहेज
कर
रखने
की
जिम्मेदारी
भी
है।
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