आयरन लेडी 'इंदिरा' के सीने में दागी गई थीं 31 गोलियां, चढ़ा था 88 बोतल खून
आज देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन साल 1984 में इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षकों ने गोली मार दी थी।
नई दिल्ली। आज देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 32वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन साल 1984 में इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षकों ने गोली मार दी थी। इंदिरा गांधी पर उनके अंगरक्षकों ने 31 गोलियां दागी थी। गोली लगने के बाद इंदिरा को उनके निजी सचिव आर के धवन और बहू सोनिया गांधी घायल अवस्था में एम्स लेकर भागे थे।
केवल इंदिरा जैसा दिखना ही प्रियंका गांधी के लिए काफी नहीं!
रास्ते में इंदिरा गांधी का सिर सोनिया की गोद में ही था। अस्पताल के डॉक्टरों ने इंदिरा को 88 बोतल खून(0 निगेटिव) चढ़ाकर बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन किसी के सामने ना झुकने वाली इंदिरा ने मौत के सामने अपने घुटने टेक दिये।
गूंगी गुड़िया ने बदला इतिहास-भूगोल
इंदिरा गांधी के हाथ में पीएम पद ऐसे समय में आया था, जब देश नेतृत्व के संकट से जूझ रहा था। शुरू में गूंगी गुड़िया कहलाने वाली इंदिरा ने अपने चमत्कारिक नेतृत्व से न केवल देश को कुशल नेतृत्व प्रदान किया बल्कि विश्व मंच पर भी भारत की धाक जमा दी।
इंदिरा में नेतृत्व के गुण
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने एक बार बातचीत में बताया था इंदिरा एक कुशल प्रशासक थीं। उनके सक्रिय सहयोग से बांग्लादेश अस्तित्व में आया। जिससे इतिहास और भूगोल दोनों बदल गए। बचपन से ही इंदिरा में नेतृत्व के गुण मौजूद थे। भारत के आजादी के आंदोलन को गति प्रदान करने के लिए इंदिरा ने बचपन में ही वानर सेना का गठन किया था।
खास बातें...
- जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के घर इंदिरा का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था।
- रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे 'प्रियदर्शिनी' नाम दिया था।
- शांतिनिकेतन में पढ़ाई करने वाली इंदिरा बचपन में काफी संकोची स्वभाव की थी।
- अपनी राजनीतिक पारी के शुरूआती दिनों में गूंगी गुड़िया के नाम से जानी जाती थीं।
- इंदिरा प्रियदर्शनी को उनका 'गांधी' उपनाम फिरोज़ गांधी से विवाह के पश्चात मिला था।
- 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में आपातकाल लागू किया।
आगे की बात तस्वीरों में...
'आयरन लेडी'
साल 1971 में बांग्लादेश को अस्तित्व में लाकर इंदिरा ने अपनी सुलझी हुई सोच और कूटनीति का परिचय दिया था और अपने नाम के आगे 'आयरन लेडी' लिखवा लिया था।
खून का एक-एक कतरा
जिंदगी औऱ देश के लिए कई अहम फैसले लेने वाली इंदिरा गांधी ने एक अंतिम जनसभा में कहा था कि वो अपने खून का एक-एक कतरा भारत के नाम कर देंगी जो कि उन्होंने कर भी दिखाया।
राज्यसभा सदस्य के रूप में...
अपने पिता नेहरू की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।
एक शानदार राजनीतिज्ञ और मजबूत इरादों वाली महिला
हिंदुस्तान की मिट्टी में कई नौनिहालों ने जन्म लिया और देश की सेवा की है लेकिन इंदिरा गांधी एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ होने के साथ ही कूटनीति में माहिर थी जिसके कारण ही उन्होंने अपने जीतेजी अपने और अपने शासन के खिलाफ उठी विरोधियों की आवाज को कभी भी आगे आने नहीं दिया। हालांकि उनके कुछ फैसलों पर आज भी भयंकर बहस होती है और विरोधियों द्वारा गलत ठहराये जाते हैं लेकिन फिर भी इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व एक शानदार राजनीतिज्ञ और मजबूत इरादों वाली महिला का रहा है।
दूसरी इंदिरा की जरूरत
चंद सीटों के जरिए हाशिए पर सिमटी कांग्रेस को एक बार फिर से दूसरी इंदिरा की जरूरत है। सुगबुगाहट है कि इस बार के यूपी चुनावों में कांग्रेस प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतार सकती है। प्रियंका के अंदर लोगों को इंदिरा की छवि दिखती है लेकिन प्रियंका को अभी राजनैतिक पृष्ठभूमि पर अपने आप को दादी की तरह साबित करना बाकी है। खैर क्या होगा ये तो आने वाला वक्त तय करेगा लेकिन देश की इस कद्दावर नेता की पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन।