100 सबसे प्रभावशाली एचआर में है लखनऊ की अंकिता
'कामयाबी'...जिंदगी के लिए एक जश्न सा एहसास। अपनों के आगे और कीमती हो जाने जैसा। जी हां शायद मतलब इसी के इर्द गिर्द है। लेकिन एक मां के लिए उसके बच्चों की उपलब्धियां, बच्चों के जिक्र का बहाना है। हर पल मां की कोशिश होती है कि कैसे उसे सबसे बेहतर बताकर उसे समाज के सामने रिप्रजेंट करूं। और फिर जब बिटिया हो अंकिता सिंह जैसी। जिसका नाम विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली एचआर की फेहरिस्त में शामिल हो।
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अंकिता लखनऊ में महिला सम्मान प्रकोष्ठ में इंस्पेक्टर सत्या सिंह की बेटी हैं। और अपने बेहतर काम के जरिए विश्व भर में अपने वतन का नाम रोशन कर रही हैं। संघर्ष, ख्वाब और जीत जैसे मुख्य पहलुओं पर वन इंडिया ने अंकिता से खास बातचीत की।
आपका शिक्षा का सफर कैसा रहा?
इंटरमीडिएट के बाद इंजीनियरिंग में सेलेक्शन हो गया लेकिन मेरा इंट्रेस्ट मैनेजमेंट में था। लखनऊ से ही बीबीए की पढ़ाई की। और यूपी टॉप किया। जिसकी वजह से राज्यपाल ने मुझे अवार्ड देकर सम्मानित किया। इसके बाद पुणे से एमबीए किया। और पूरे महाराष्ट्र में टॉप रैंक हासिल की। जिसके बाद अलग-अलग कॉलेज से एग्जीक्यूटिव कोर्स किए।
अंकिता को मिले कुछ अवार्ड्स
- Awarded"Women in Leadership award 2015" -World HRD congress
- Awarded Award " Excellence in Human Resource Award 2015"- BhartiyaVidyaPeeth, Pune
- Awarded ''Young HR professional Of the year 2015" - Employers Branding Awards, World HRD Congress
- Awarded with "Women Leaders In India: IT HR" in 2015 by iiGlobal
-
Awarded
''Young
HR
professional
Of
the
year
2014"
-
Dream
Companies
to
work
for
awards.
- Awarded with "Women Leaders In India: HR" in 2014 by iiGlobal
- Awarded ''Young HR professional Of the year 2013" - Dream Companies to work for awards.
आपकी मम्मी खुद एक पहचान हैं, उनसे किस तरह से आपको प्रेरणा मिली?
एक वक्त होता है जब मां-बाप बच्चों की वजह से जाने जाते हैं। लेकिन आज भी कई जगहों पर मुझे लगता है कि मैं अपनी मां की वजह से जानी जाती हूं। हां उस वक्त गर्व की अनुभूति होती है। करीबन हर एक मोड़ पर वो मेरे लिए प्रेरणा बनीं। मम्मी ने मुझे हमेशा एक बात समझाई कि आत्मनिर्भर होना जरूरी है। क्योंकि जीवन में आप खुद को सपोर्ट करना चाहें या फिर किसी और को, यदि आप आत्मनिर्भर हैं तो वाकई मददगार होता है।
आपको कभी कुछ बहुत ज्यादा चैलेंजिंग लगा, जिसमें आपको मम्मी का साथ मिला?
मुझसे कोई भी अगर पूछता है कि यार तुम्हारी सबसे अच्छी दोस्त कौन है तो मेरा जवाब होता है कि मेरी मम्मी। आज भी मुझे किसी बात का निर्णय लेना होता है तो मैं सबसे पहले अपनी मम्मी से पूछती हूं। कई बार जब हम खुद के डिसीजन से कुछ काम कर लेते हैं तो कभी गलत भी हो जाता है लेकिन मम्मी कहती कि गल्तियां करके ही हम सीखते हैं।
कभी ऐसा कोई मौका आया जब आप दोनों किसी बात को लेकर अपसेट हुए हों?
जिस वक्त मैंने इंटरमीडिएट कंप्लीट किया था और इंजनीयरिंग में सिलेक्शन हो गया था। लेकिन मैं कोर्स को लेकर मैं कंफ्यूज थी कि क्या करूं। लेकिन मम्मी के व्यूज ने सब कुछ सॉल्व कर दिया।
महिला सशक्तिकरण के सवाल को लेकर आप क्या कहना चाहेंगी?
फीमेल लीडर्स जिनके बारे में पढ़ा है या जिनसे मैं मिलती हूं जैसे कि मेरी मम्मी या मिलने जुलने वाली महिलाएं। आज करीबन हर विभाग में महिलाएं हैं। तो लगता है कि वास्तव में महिलाएं काफी सशक्त हो रही हैं। जो कि बेहतर है।
इतना बड़ा मुकाम हासिल किया आपने, लेकिन विश्व के 100 प्रभावशाली एचआर प्रोफेशनल्स में अपनी जगह बनाने का प्रॉसेस क्या होता है?
वर्ल्ड एचआरडी एक ऐसा फोरम है जहां पर करीबन 250 देश शिरकत करते हैं। उसमें एक लेवल होता है कि आप पार्टिसिपेट करते हो, इसमें आपको नॉमिनेट करना पड़ता है। उसके बाद आप भेजे द्वारा सभी नॉमिनेशन्स के साथ कॉन्टेस्ट करते हो। दरअसल आपके अनुभव आदि के आधार पर, काम के प्रति कितनी बेहतर समझ है..इन तमाम बातों को मद्देनजर रखते हुए पैनल नाम डिसाईड करता है।
तो ये थी अंकिता की सक्सेस स्टोरी। लेकिन आज भी भारत के कई कोनों में रूढ़िवादिता के चलते महिलाओं को गुमनामी की ओर धकेला जा रहा है। जो कि पूर्णतया गलत है। इन सबके इतर आपको ये भी बताते चलें कि अंकिता को 50 इनोवेटिव टेक एचआर लीडर में भी चुना गया है।
सितंबर में उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।समाज में, दुनिया में एक अलग मुकाम बनाकर उभर रहीं अंकिता वास्तव में अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं। तो आप भी अपनी बहन, बेटियों को उड़ान भरने का मौंका दें। क्योंकि ये हौसलों की उड़ान है।