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काशी विश्वनाथ हैं पूरे विश्व के नाथ, जानिये खास बातें

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आँचल प्रवीण

स्वतंत्र पत्रकार
आंचल पत्रकारिता एवं जनसंचार में पोस्ट ग्रेजुएट हैं, आंचल को ब्लोगिंग के अलावा फोटोग्राफी का शौक है, वे नियमित रूप से राष्ट्रीय और अंतरष्ट्रीय मुद्दों पर लिखती रहती हैं।

[बनारस जंक्शन] बनारस के घाट पर बना शिव जी का विश्वनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है वहीं दूसरा जिसे नया विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर काशी विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्थित है।

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Kashi Vishwanath Temple

शिव जी ने दर्शन दिए थे

ऐसी मान्यता है कि एक भक्त को भगवान शिव ने सपने में दर्शन देकर कहा था कि गंगा स्नान के बाद उसे दो शिवलिंग मिलेंगे और जब वो उन दोनों शिवलिंगों को जोड़कर उन्हें स्थापित करेगा तो शिव और शक्ति के दिव्य शिवलिंग की स्थापना होगी और तभी से भगवान शिव यहां मां पार्वती के साथ विराजमान हैं|

मालवीय जी नये करवाया नये मन्दिर का निर्माण

नए विश्वनाथ मंदिर की स्थापना की कहानी जुड़ी है पंडित मदन मोहल मालवीय जी से ,कहते हैं एक बार मालवीय जी ने बाबा विश्वनाथ की उपासना की, तभी शाम के समय उन्हें एक विशालकाय मूर्ति के दर्शन हुए, जिसने उन्हें बाबा विश्वनाथ की स्थापना का आदेश दिया।

भोले बाबा की आज्ञा समझकर मंदिर का निर्माण कराया

मालवीय जी ने उस आदेश को भोले बाबा की आज्ञा समझकर मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ करवाया लेकिन बीमारी के चलते वो इसे पूरा न करा सके। तब मालवीय जी की मंशा जानकर उद्योगपति युगल किशोर बिरला ने इस मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा करवाया।

प्राचीन विश्वनाथ के विषय में कुछ जानने योग्य बातें

  • मंदिर के ऊपर के सोने के छत्र को ले कर यह मान्यता है कि अगर उसे देख कर कोई मुराद मांगी जाती है तो वह अवश्य ही पूरी होती है
  • रानी अहिल्या द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार कराने के पश्चात इंदौर के महाराज रणजीत सिंह ने मंदिर के टावर पर सोना लगाने का कार्य किया।
  • मंदिर कक्ष में जाने पर आप पाएंगे की यहां शिव लिंग काले पत्थर का बना हुआ है। इसके अलावा दक्षिण की तरफ़ तीन लिंग हैं, जिन्हें मिला कर नीलकंठेश्वर कहा जाता है।
  • पुराणों, उपनिषद से लेकर बहुत सी प्राचीन किताबों में इस शहर का ज़िक्र मिलता है | काशी शब्द की उत्पत्ति कश से हुई है, जिसका अर्थ होता है चमकना।
  • इतिहास में काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण का समय 1490 बताया जाता है।
  • काशी में बहुत से शासकों ने शासन किया, जिनमें से कई बहुत नामी रहे जबकि कई गुमनामी के दौर में खो गये।
  • इस शहर पर बौद्धों ने भी काफ़ी वर्षों तक शासन किया है।
  • गंगा किनारे बसा यह शहर कई बार तबाही और निर्माण का साक्षी बना है, जिसका असर काशीनाथ मंदिर पर भी पड़ा।
  • इस मंदिर को बहुत बार तोड़ा और बनाया जा चुका है
  • औरंगज़ेब मंदिर को तोड़ कर उसके स्थान पर मस्जिद बनाना चाहता था, आज भी मंदिर की पश्चिमी दीवार पर मस्जिद के लिए की गई खूबसूरत नक्काशी को साफ़ देखा जा सकता है।
  • काशीनाथ मंदिर के वर्तमान रूप का श्रेय इंदौर की रानी अहिल्या को जाता है।
  • कहा जाता है कि भगवान शिव एक बार उनके सपने में आये थे और मंदिर बनाने के लिए कहा था।

ब्रम्ह बेला से खुल जाता है मन्दिर

यह मंदिर प्रतिदिन 2.30 बजे भोर में मंगल आरती के लिए खोला जाता है जो सुबह 3 से 4 बजे तक होती है। दर्शनार्थी टिकट लेकर इस आरती में भाग ले सकते हैं। तत्पश्चात 4 बजे से सुबह 11 बजे तक सभी के लिए मंदिर के द्वार खुले होते हैं। 11.30 बजे से दोपहर 12 बजे तक भोग आरती का आयोजन होता है। 12 बजे से शाम के 7 बजे तक पुनः इस मंदिर में सार्वजनिक दर्शन की व्यवस्था है। चढ़ावे में चढ़ा प्रसाद, दूध, कपड़े व अन्य वस्तुएँ गरीबों व जरूरतमंदों में बाँट दी जाती हैं।

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English summary
Kashi Vishvanath Temple is one of the most famous Hindu temples and is dedicated to Lord Shiva. It is located in Varanasi, Uttar Pradesh, India.
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