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सूर्योपासना और आस्था का महापर्व छठ

By Manoj Pathak
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पटना| भगवान भास्कर की उपासना के पर्व छठ को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। भक्तों की अटल आस्था के अनूठे पर्व छठ में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में अंतिम किरण को अघ्र्य देकर सूर्य को नमन किया जाता है। सूयरेपासना का यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है।

सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे 'छठ' कहा जाता है। सुख-समृद्घि और मनोवांछित फल देने वाले इस पर्व को पुरुष और महिला समान रूप से मनाते हैं, परंतु आम तौर पर व्रत करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक होती है। कुछ वर्ष पूर्व तक मुख्य रूप से यह पर्व बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता था, परंतु अब यह पर्व पूरे देश में मनाया जाता है।

प्राचीन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अनुपम महापर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शास्त्री के अनुसार, छठ पूजा का प्रारंभ महाभारत काल के समय से देखा जा सकता है। छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है। व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे अराधना करते हैं।

चतुर्थ तिथ‍ि पर शुरू होता है छठ पर्व


छठ पर्व का प्रारंभ कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि से प्रारंभ होता है तथा सप्तमी तिथि को इस पर्व का समापन होता है। पर्व का प्रारंभ 'नहाय-खाय' से होता है, जिस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करती हैं। इस दिन खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।

नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी के दिनभर व्रती उपवास कर शाम में स्नानकर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की अराधना कर प्रसाद ग्रहण करती हैं। इस पूजा को 'खरना' कहा जाता है।

इसके अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को उपवास रखकर शाम को व्रतियां टोकरी (बांस से बना दउरा) में ठेकुआ, फल, ईख समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब, या अन्य जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित करती हैं और इसके अगले दिन यानी सप्तमी तिथि को सुबह उदीयमान सूर्य को अघ्र्य अर्पित कर घर वापस लौटकर अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करती हैं यानी व्रत तोड़ती हैं।

29 अक्टूबर को होगा छठ मैया का आगमन

Chhath

शास्त्री के अनुसार इस वर्ष 29 अक्टूबर को षष्ठी है। इस पर्व में स्वच्छता और शुद्घता का विशेष ख्याल रखा जाता है। मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मईया) का आगमन हो जाता है।

इस पर्व में गीतों का खास महत्व होता है। छठ पर्व के दौरान घरों से लेकर घाटों तक कर्णप्रिय छठ गीत गूंजते रहते हैं। व्रतियां जब जलाशयों की ओर जाती हैं, तब भी वे छठ महिमा की गीत गाती हैं।

आधुनिकता की दौड़

Chhath

वैसे आज आधुनिकता की दौड़ में छठ पर्व को लेकर कई बदलाव भी देखे जा रहे हैं। नदी, तालाबों तथा जलाशयों में जुटने वाली भारी भीड़ से बचने के लिए लोग अपने घर के आसपास ही गड्ढा बनाकर उसमें जल डालकर अघ्र्य देने लायक बना ले रहे हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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English summary
People in India mostly in Bihar and Chhattisgarh ready to celebrate Chhath Parv. This is the festival to worship Sun.
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