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आया 15 अगस्त- क्या कहने लाल किला के कवि सम्मेलन के

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नई दिल्ली (ब्यूरो) स्वाधीनता दिवस के मौके पर लाल किले पर होने कवि सम्मेलन, पंजाबी दरबार और जश्ने-आजादी मुशायरे की बात ही निराली है। गोपाल दास नीरज से लेकर अली सरदार जाफरी और शिव बटालवी जैसे महान कवियों ने इधर देश-भक्ति से रची-बसी अपनी कविताओं-नज्मों को पढ़ा है।

आजादी के बाद से

देश के आजाद होने के बाद से इन तीनों भाषाओं के कवि सम्मेलन यहां पर चालू हो गए। आज पंजाबी दरबार है। इसमें देश के चोटी के कवि शिरकत कर रहे हैं। पंजाबी अकादमी, हिन्दी अकादमी और उर्दू अकादमी के सौजन्य से इनके आयोजन होते हैं।

दिग्गज सुनते थे

कहते हैं कि एक दौर में ज्ञानी जैल सिंह, कमलापति त्रिपाठी, मौलाना आजाद जैसी नामवर शख्सियतें भी बड़े चाव से इन आयोजनों में ताजा रचनाएं सुनने के लिए पहुंचती थीं।

बात नीरज जी की

पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर बिमल जैन कहते हैं कि स्वाधीनता दिवस के मौके पर होने वाले कवि सम्मेलन में कुछ साल पहले तक रात भर हजारों लोग देश प्रेम से ओत-प्रोत कविताओं का आनंद लेते थे।

15 अगस्त: स्वतंत्रता दिवस से जुड़े टॉपिक व थीम

पर सबसे ज्यादा इंतजार कविता के रसिकों को आता था नीरजजी के मंच पर आने का। वे तो मंच के सम्राट थे। उनके कविता पढ़ते ही लोग झूमने लगते थे। सारे माहौल में देश प्रेम की महक को महसूस किया जाने लगता था।

उधर, हिन्दी के वरिष्ठ कवि महेन्द्र शर्मा कहते हैं कि लाल किले का कवि सम्मेलन देश के सभी कवियों के लिए खास अहमियत रखता है। जिसे इसमें कविता पढ़ने का मौका नहीं मिलता उसे कवि माना ही नहीं जाता।

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English summary
15 August Kavi Sammelan of Lal Qila has special significance. Leading hindi poets recite their poems. However, people love to hear the poetry of Neeraj ji.
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