Lok Sabha Elections 2019: मतगणना से पहले जानिए लोकसभा चुनाव के वोटों की गिनती कैसे की जाती है?
नई दिल्ली। पूरे देश को 23 तारीख की सुबह का इंतजार है क्योंकि इस दिन मतगणना होगी जिसके बाद ये तय होगा कि साल 2019 लोकसभा चुनाव का विजेता कौन है, इस दिन को लेकर केवल राजनीतिक पार्टियां ही बेचैन नहीं हैं बल्कि आम जनता को भी इस रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है, लेकिन जहां लोगों के दिल-दिमाग में ये सवाल घूम रहा है कि सरकार किसकी बनेगी, वहीं दूसरी ओर यह भी प्रश्न लोगों के जेहन में घूम रहा है कि आखिर वोटों की गिनती होती कैसे है और वो लोग कौन होते हैं जो कि वोटों की गिनती करते हैं?
तो चलिए सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं कि इस पूरी जटिल प्रक्रिया को....
EVM को काउंटिंग सेंटर लाया जाता है
मतदान खत्म होने के बाद सारे सीलबंद EVM को काउंटिंग सेंटर लाया जाता है, जहां उन्हें स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। स्ट्रॉन्ग रूम की पहरेदारी की जिम्मेदारी मुख्य सुरक्षा केंद्रीय बलों पर होती है।
ऐसे करते हैं वोटों की गिनती
सबसे पहले सुबह 7 से 8 बजे तक काउंटिंग सेंटर के भीतर काउंटिंग एजेंट भेजा जाता है और उसके बाद आठ बजे से मतगणना शुरु होने का ऐलान किया जाता है। इलेक्शन ऑफिसर सबसे पहले डाक से आए मतों को चेक करते हैं, उसके बाद उसे पोस्टल बैलेट टेबल पर भेज देते हैं और उसके बाद EVM से वोटों की गिनती शुरू होती है, जिसके लिए EVM को स्ट्रांग रूम से काउंटिंग टेबल पर लाया जाता है।
सुपरवाइजर काउंटिंग एजेंट्स EVM के सील की जांच करते हैं
काउंटिंग के लिए 14 काउंटिंग टेबल बनाए जाते हैं और एक बार में केवल 14 EVM की गिनती होती है, जो कि सुपरवाइजर काउंटिंग एजेंट्स की मदद से की जाती है, सुपरवाइजर सबसे पहले ईवीएम पर लगे सील्स की जांच करते हैं और तय करते हैं कि मशीन से छेड़छाड़ तो नहीं की गई है और उसके बाद वो काउंटिग एजेंट को कहते हैं कि ईवीएम का बटन दबाए, जिसके बाद हर कैंडिडेट्स के वोटों की संख्या दिख जाती है, हर उम्मीदवार के सामने वोटों की संख्या आ जाती है।
मतगणना केंद्र के अंदर क्या होता है?
मतगणना केंद्र के अंदर की 14 मेजों पर सील को हटाने के लिए एक चाकू होता है, हर मेज पर माइक लगा होता है जिससे परिणाम घोषित किए जाते हैं, कमरे में एक ब्लैकबोर्ड भी होता है, जिसमें मतदाओं के वोट के नंबर लिखे होते है, जिनकी जानकारी मीडिया को दी जाती है और जिससे कौन प्रत्याशी आगे चल रहा है और कौन पीछे, पता चलता है।
मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल पर पाबंदी
चुनाव आयोग द्वारा तैनात पर्यवेक्षकों के अलावा किसी और को मतगणना केंद्र के अंदर मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है। सुरक्षा बलों की निगरानी में काउंटिग होती है, वोटों की गिनती का मिलान VVPAT से किया जाता है और फिर उसको चुनाव अधिकारी के पास भेजा जाता है।
क्या है VVPAT
वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (वीवीपीएट) व्यवस्था के तहत वोटर डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है, इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके।
क्या है EVM
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या EVM करीब पांच-मीटर केबल से जुड़ी दो यूनिट-एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट से बनी होती है, इसकी बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखी होती है, वोटिंग कम्पार्टमेंट के जरिये ही आम मतदाता वोट डालता है।
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