व्यवसाय खोलने के लिए कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन?
बिजनेस
शुरु
करने
से
पहले
लोग
काफी
सोच-विचार
करते
हैं।
व्यवसाय
के
घाटे-मुनाफे
को
सोचने
से
पहले
रजिस्ट्रेशन
और
लाइसेंस
बनवाने
को
लेकर
कशमकश
में
रहते
हैं।
रजिस्ट्रेशन
के
लिए
कुछ
जरुरी
कार्यवाहियों
को
पूरा
करना
होता
है।
इसके
बाद
ही
आप
अपना
व्यवसाय
शुरु
कर
सकते
हैं।
क्या
है
वो
जरुरी
कार्य,
तो
चलिए
हम
आपकी
टेंशन
को
कम
किए
देते
हैं।
आपको
बताते
है
उन
जरुरी
कार्यवाहियों
के
विषय
में
जिन्हें
आपको
व्यवसाय
खोलने
से
पहले
पूरा
करना
होता
है।
किसी भी यूनिट के लिए सबसे पहला लाइसेंस निगम लाइसेंस होता है। इसके लिए आवेदन मैन्युअल या ऑनलाइन भी किया जा सकता है। यहीं, आपकी एरिया कैटिगरी और प्रॉपर्टी टैक्स की दर भी तय होती है। कोई भी फैक्ट्री सिर्फ इंडस्ट्रियल या कॉन्फर्मिंग एरिया में ही लगाई जा सकती है।
रजिस्ट्रेशन
के
लिए
अहम
कागजात:
नगर
निगम,
विकास
प्राधिकरण
या
जिला
उद्योग
दफ्तर
में
फैक्ट्री
रजिस्ट्रेशन
कराना
होगा।
प्लॉटकी
ओनरशिप
या
लीजहोल्ड
का
प्रूफ,
बिल्डिंग
या
साइट
प्लान
की
मंजूरी
की
कॉपी,
जो
मशीन
आप
लगाएंगे
उनकी
डिटेल्स
और
हॉर्स
पॉवर,
मैन्युफैक्चरिंग
प्रॉसेस
का
खाका
इत्यादि।
दिल्ली
में
फीस
2000
रुपए,
अन्य
राज्यों
में
भी
लगभग
इतनी
ही।
यह
लाइसेंस
हर
साल,
कुछ
राज्यों
में
तीन
साल
पर
रिन्यू
कराना
पड़ता
है।
फैक्ट्री
लाइसेंस:
इसे
चीफ
इंसपेक्टर
ऑफ
फैक्ट्रीज
(सीआईएफ)
का
लाइसेंस
भी
कहा
जाता
है।
यह
सबसे
अहम
रजिस्ट्रेशन
और
लाइसेंस
प्रॉसेस
है,
जहां
आपको
फैक्ट्री
का
पूरा
प्रोफाइल
दिखाना
पड़ता
है।
लेबर
डिपार्टमेंट
के
इंस्पेक्टर
समय-समय
पर
फैक्ट्री
की
जांच
करते
हैं।
इसके
तहत
आपको
कई
तरह
के
रजिस्टर
मेनटेन
करने
होते
हैं
और
वर्कर
से
जुड़ी
दर्जनों
फॉर्मैलिटीज
पूरी
करनी
होती
हैं।
रजिस्ट्रेशन
के
लिए
अहम
कागजात:
नगर
निगम
लाइसेंस
और
एनवायरमेंटल
कंसेंट
की
कॉपी,
साइट
या
लेआउट
प्लान
की
कॉपी,
फायर
डिपार्टमेंट
का
एनओसी,
मैन्युफैक्चरिंग
प्रॉसेस
का
फ्लो
चार्ट,
कर्मचारियों
की
संख्या
और
प्रोफाइल
(मेल-फीमेल,
स्किल्ड,
सेमी
या
अनस्किल्ड),
वेतन
आदि,
दस्तावेज
की
संख्या
और
फीस
हर
राज्य
में
अलग-अलग।
इसे
स्टेट
लेबर
डिपार्टमेंट
की
साइट
पर
देखा
जा
सकता
है।
किस कंपनी का कैसा रजिस्ट्रेशन: प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।
अलग-अलग सर्विसेज के लिए आपको कई दूसरे विभागों के रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस भी लेने पड़ सकते हैं:-
सर्विस सेक्टर:
अगर आप चीजों के उत्पादन की बजाय सेवाएं देने के बिजनस में हैं। मसलन, आईटी, बीपीओ, कॉल सेंटर, टूर एंड ट्रैवल, होटल, बार, ब्यूटी पार्लर, कैटरिंग, ट्रांसपोर्ट, कूरियर, लॉजिस्टिक्स, टेलिकॉम से जुड़ी सेवाएं और आपका टर्नओवर 10 लाख से ज्यादा है तो आपको सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट में रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
आईईसी
रजिस्ट्रेशन
अगर
आप
इम्पोर्ट
या
एक्सपोर्ट
के
बिजनस
में
हैं
तो
आपको
10
अंकों
का
आईईसी
कोड
लेना
अनिवार्य
है।
यह
कोड
वाणिज्य
मंत्रालय
के
डायरेक्टरेट
ऑफ
जनरल
ऑफ
फॉरेन
ट्रेड
(डीजीएफटी)
की
ओर
से
जारी
होता
है।
आप
अपनी
फर्म
या
खुद
के
नाम
से
इसके
लिए
अप्लाई
कर
सकते
हैं।
शॉप,
ट्रेड
या
कॉमर्स:
किसी
भी
तरह
की
शॉप
या
व्यावसायिक
गतिविधि
के
लिए
आपको
स्थानीय
निकाय
(नगर
निगम)
से
ट्रेड
लाइसेंस
लेने
की
जरूरत
होगी।
एमसीडी
पहले
कमोडिटी
या
आइटम
के
हिसाब
से
ट्रेड
लाइसेंस
फीस
लेती
थी,
लेकिन
अब
कुछ
अपवादों
को
छोड़कर
दुकान
की
साइज
को
आधार
बनाया
गया
है।
फूड
सेफ्टी
अगर
आप
खाद्य
सामग्री
बेचते
हैं
या
इसके
स्टोरेज,
डिस्ट्रिब्यूशन
या
इम्पोर्ट
से
जुड़े
हैं
तो
आपको
फूड
सेफ्टी
एंड
स्टैंडर्ड
ऐक्ट
2006
और
रेग्युलेशन
2011
के
तहत
रजिस्ट्रेशन
और
लाइसेंस
लेने
हैं।
शर्तें
और
जरूरत
मैन्युफैक्चरिंग
सेग्मेंट
की
तरह
ही
हैं।
वैट
रजिस्ट्रेशन
वैट
विभाग
में
केंद्रीय
बिक्री
कर
(सीएसटी)
के
तहत
भी
रजिस्ट्रेशन
लेना
होगा।
पैन
की
कॉपी,
आवेदक
का
आईडी
प्रूफ,
ओनरशिप
का
प्रूफ,
पार्टनरशिप
डीड
(अगर
फर्म
पार्टनरशिप
में
है),
कंपनी,
सोसाइटी
या
ट्रस्ट
होने
पर
संबंधित
विभागों
का
रजिस्ट्रेशन
सर्टिफिकेट।
500
रुपए
फीस
वाले
ऐप्लिकेशन
फॉर्म
के
साथ
1
लाख
रुपए
का
श्योरिटी
बॉन्ड
भी
भरना
होगा।
अपील
या
ऑब्जेशन
कर
सकते
हैं
दायर
अगर
आपने
अपने
कारोबार
के
लिए
जरूरी
सभी
रजिस्ट्रेशन
और
लाइसेंस
ले
लिए
हैं,
आपको
लगता
है
कि
कोई
नोटिस
या
चालान
जबरन
थोपा
गया
है
तो
उसी
विभाग
में
ऐसे
सेल
हैं,
जहां
आप
अपील
या
ऑब्जेशन
दायर
कर
सकते
हैं।