सिर्फ 'ब्रेग्जिट' नहीं 23 जून का है भारत और ब्रिटिश इतिहास से भी एक नाता
लंदन। 23 जून को ब्रिटेन के इतिहास में एक और किस्सा जुड़ गया है जब यूरोपियन यूनियन में इसके रहने और ना रहने पर वोटिंग शुरू हुई है। 23 जून के साथ ब्रिटेन के इतिहास का एक और किस्सा भी जुड़ा हुआ है और वह भी भारत से है। सबको मालूम है कि भारत करीब दो सदी तक ब्रिटिश शासन का गुलाम रहा है। 23 जून 1757 को भारत में एक ऐसी घटना हुई जिसने यहां पर ब्रिटिश शासन की जड़ों को मजबूत करने में एक नींव की तरह काम किया।
फिर 200 वर्ष तक गुलाम रहा भारत
आज जहां ब्रिटेन में ईयू से जुड़ा एक अहम घटनाक्रम दुनिया को देखने को मिल सकता है तो वहीं आज से ठीक 259 वर्ष पहले ब्रिटिश अधिकारियों ने पलासी के युद्ध में बंगाल के राजा को हराकर भारत में भावी ब्रिटिश शासन की नींव रखी थी। एक ऐसा शासन जिसने आगे चलकर करीब 200 वर्षों तक इस देश को अपना गुलाम बनाकर रखा।
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रॉबर्ट क्लाइव की अगुवाई में लड़ी गई यह लड़ाई भारत के इतिहास में एक अहम अध्याय साबित हुई। युवा नवाब सिराज-उद-दौला ने जून 1756 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्जे वाले कोलकाता, जिसे उस समय कलकत्ता कहते थे, का अधिग्रहण कर लिया था।
कैसे शुरू हुई लड़ाई
यह खबर ईस्ट इंडिया कंपनी के मद्रास (चेन्नई का पूर्व नाम) में मौजूद अधिकारियों तक पहुंची तो वे सभी परेशान हो गए। क्लाइव ने करीब 2,500 लोगों की सेना के साथ कलकत्ता के लिए कूच किया।
इस सेना में यूरोपियन के अलावा भारतीय भी शामिल थे। सिराज को जनवरी सन् 1757 में शासन से बाहर का रास्ता देखना पड़ा।
उस समय क्लाइव ने तय किया कि वे बंगाल में सिराज को हटाकर मीर जफर, जो कि ब्रिटेन का हितैषी था, उसे लेकर आएंगे जिससे ईस्ट इंडिया कंपनी को कुछ फायदा हो सके।
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जफर ने तब ब्रिटेन के साथ एक समझौता किया जिसके तहत उन्होंने एक अच्छी खासी रकम बतौर घूस अदा की। जब सिराज को इसका पता लगा तो वह पलासी चले गए जा कि इस समय पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में है।
13 जून को युद्ध का आगाज
13 जून 1757 को क्लाइव ने अपनी सेना को पलासी की ओर से कूच करने का आदेश दिया। भागीरथी और हुगली नदी पर सुबह के समय लड़ाई शुरू हुई। उस समय ब्रिटिश सेना में करीब 2,000 भारतीय सिपाही थे।
इसके अलावा 600 सैनिकों वाली पैदल सेना, 200 तोपची के साथ ही दो छोटी तोप भी थीं। इन्हें क्लाइव ने तीन हिस्सों में बांटा था। वहीं सिराज के पास 40,000 सैनिक और हाथियों की सेना और करीब 50 बंदूके भी थीं।
मैदान छोड़कर भागा सिराज
युद्ध शुरू हुआ तो सिराज के पसीने छूट गए और जब क्लाइव की सेना आगे बढ़ने लगी तो वह मैदान छोड़कर भाग गए। उनके भागने के बाद सेना का मनोबल भी गिर गया।
सिराज को बाद में पकड़ कर मार दिया गया। इसके साथ ही बंगाल का शासन ब्रिटेन के पास आ गया और फिर मीर जफर को नवाब बना दिया गया।