क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

सियासी रोटियों संग तपती बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद

By Ajay Mohan
Google Oneindia News

आंचल श्रीवास्तव

स्वतंत्र पत्रकार
आंचल पत्रकारिता एवं जनसंचार में पोस्ट ग्रेजुएट हैं, आंचल को ब्लोगिंग के अलावा फोटोग्राफी का शौक है, वे नियमित रूप से राष्ट्रीय और अंतरष्ट्रीय मुद्दों पर लिखती रहती हैं।

[बनारस जंक्शन] वाराणसी की यात्रा में आज आपको बताती हूँ ज्ञानवापी मन्दिर के विषय में। हालाकिं यह बात अभी भी प्रासंगिक है और विवादास्पद कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण विश्वनाथ मन्दिर के ध्वस्त अंशों पर हुआ है। पर इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि ये सब सियासी खेल है जिनका हम आम लोगों से कोई सरोकार नहीं। हम बस इश्वर को मानते हैं फिर हो भगवान हो या अल्लाह।

Historical Facts about Gyanvyapi Mosque in Varanasi

रंजिशों की गवाह रही

विश्वनाथ मन्दिर के परिसर में मुख्य मन्दिर के एकदम बगल में बनी ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण सन 1664 में औरंगजेब ने करवाया था। मन्दिर के कुछ अवशेष अज भी मस्जिद की दीवारों पर मिलते हैं। मन्दिर और मस्जिद दोनों ने ही सदियों से धार्मिक रंजिशों को झेला है। कभी ब्राह्मणों को इस्लामी शिक्षा से परेशानी हुई तो कभी मुसलमानों को हिन्दू रीतियों से। पर हमेशा से ये सब करने वाले ऊँचे दर्जे के आला लोग होते थे और इन लड़ाइयों में आम आदमी पिस जाता था।

कुएं के नाम पर पड़ा मस्जिद का नाम

मस्जिद का नाम एक कुए के नाम से रखा गया था जो ज्ञान वापी कहलाता था जिसका मतलब है ज्ञान का कुआं। यह आज भी मस्जिद परिसर के भीतर है। हिन्दू पंडित और ज्ञानी कहते हैं की आज भी विश्वनाथ का वास्तविक शिवलिंग इस कुएं के भीतर है। यह उस समय का है जब मन्दिर का विध्वंस हुआ था। इन बातों का उल्लेख ए शेर्रिंग (1886) की किताब अ सेक्रेड सिटी ऑफ़ हिंदूज़ में मिलता है।

Historical Facts about Gyanvyapi Mosque in Varanasi

कई कथाएं प्रचलित है

कुछ जगहों पर कुछ अन्य बातों का विविरण है जैसे की नन्दी की प्रतिमा और मस्जिद के बराबर मे विश्वनाथ मन्दिर का निर्माण, मस्जिद के निर्माण के लगभग सौ वर्ष बाद 1780 मे करवाया गया था ।वास्तव मे जिस समय बनारस की आलमगीरी मस्जिद बनाई गई थी, तब वहाँ कोई मन्दिर नहीं था.... मस्जिद के पास एक कुवां था ।

मुगल अधिपत्य से निकल कर काशी अवध के नवाब के अधिकार मे आई तो मीर रुस्तम अली ने यहाँ कई महत्वपूर्ण घाटों का निर्माण कराया फिर उसके बाद बनारस पर हिन्दू राजाओं राजा मनसा राम, उनके बाद राजा बलवन्त सिंह और उनके बाद राजा चेत सिंह का शासन रहा .. लेकिन किसी ने भी आलमगीरी मस्जिद या उसके समीप के कुवे पर मन्दिर बनाने का नहीं सोचा ...... कारण यही था कि उस स्थान पर पहले भी कोई मन्दिर नहीं था।

Historical Facts about Gyanvyapi Mosque in Varanasi

सत्य कोई नहीं जानता

अब मुआमला जो भी रहा हो और मन्दिर या मस्जिद जो भी ह दोनों में ही एक ही इश्वर की पूजा होती है। दोनों ही पवित्र स्थान है और दोनों में ही मन कर्म और वचन से शुद्ध लोगों का ही प्रवेश होना चाहिए फिर वो हिन्दू हों या मुसलमान।

Comments
English summary
Read all about Gyanvyapi Mosque of Varanasi. This is an ancient masjid of Banaras. This is a mosque built on temple.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X