भारत में भी प्रसव के दौरान लेबर रूम में जा सकेंगे पति
नई दिल्ली। कहा जाता है कि एक बच्चे के जन्म के दौरान औरत दूसरा जन्म लेती है। औरत 9 महीनें तक बच्चे को अपने गर्भ में रखती है, प्रसव की पीड़ा सहती है। अब इस दिशा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई पहल की है। इस पहल के मुताबिक अब प्रसव के दौरान गर्भवती महिला अपने साथ किसी भी एक महिला या फिर अपने पति को लेबर रुम में ले जा सकती हैं।
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मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रसव के दौरान 'बर्थ कम्पेनियन' की उपस्थिति को मंजूरी दी गई है। मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन उपरोक्त कदम से और कमी आने की संभावना बढ़ गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बर्थ कम्पेनियन की नियुक्ति को प्रोत्साहित किया है। दरअसल एक प्रशिक्षित बर्थ कम्पेनियन प्रसव पीड़ा और प्रसवकाल कम करने में योगदान करेंगी। क्या होगी शर्तें...
बर्थ कम्पेनियन
बर्थ कम्पेनियन महिलाएं होंगी, जिन्हें प्रसव और शिशु जन्म के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त होगा।
बर्थ कम्पेनियन
प्रसव के दौरान महिला के पति भी बर्थ कम्पेनियन के रूप में उपस्थित हो सकते हैं।
बर्थ कम्पेनियन
बर्थ कम्पेनियन को किसी भी तरह का संक्रमित रोग नहीं होना चाहिए।
बर्थ कम्पेनियन
उनके वस्त्र साफ-सुथरे होने चाहिए। उन्हें प्रसव के दौरान गर्भवती महिला के साथ पूरे समय रहने के लिए तैयार होना चाहिए।
बर्थ कम्पेनियन
उक्त महिला अस्पताल के स्टाफ और उपचार प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेत्र न करे।
बर्थ कम्पेनियन
लेबर रूम में उपस्थित अन्य महिलाओं की सेवा का दायित्व वहन नहीं करेंगी।