Ram Navami 2021: जानें रामनवमी का महत्व और कुछ खास बातें
नई दिल्ली, अप्रैल 20। हिंदू धर्म पंचांगों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का जन्म चैत्र मास के नवरात्र की नवमी के दिन हुआ था। भगवान राम का जन्मदिन होने की वजह से हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार की रामनवमी 21 अप्रैल बुधवार को पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि और पुष्य नक्षत्र के ही दिन भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया था।
क्यों मनाई जाती है राम नवमी?
हिंदू धर्म मान्यता के अनुसार भगवान राम को विष्णु का 7वां अवतार माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में धरती पर असुरों का उत्पात बढ़ गया था। असुर ऋषियों के यज्ञ को खंडित कर दिया करते थे। धरती पर आसुरी शक्तियों के विनाश के लिए भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीराम के रूप में अवतार लिया था।
भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिए पूरे जीवन अपार कष्टों को सहा और एक आदर्श नायक के रूप में स्वयं को स्थापित किया। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा जाता है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में श्रीराम ने धर्म का त्याग नहीं किया और न ही अनीति का वरण किया। इस सब गुणों के चलते उन्हें उत्तम पुरुष की संज्ञा मिली और मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया।
हर्ष उल्लास के साथ मनाई जाती है रामनवमी
हिंदू धर्म के मानने वालों के लिए राम नवमी का बड़ा ही महत्व है। भक्त राम नवमी के दिन भगवान राम की विशेष पूजा अर्चना और आयोजन करते हैं। भगवान राम के मंदिरों को बहुत अच्छे से सजाया जाता है और भगवान राम के साथ ही माता सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों को भी सजाया जाता है। राम नवमी की धूम तो पूरे देश में रहती है लेकिन इस दिन प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या को विशेष रूप से सजाया जाता है। यहां मेले का आयोजन होता है जिसमें दूर-दूर से भक्त और संन्यासी पहुंचते हैं और राम जन्मभूमि में माथा टेकते हैं।
राम नवमी पर हिंदू घरों में लोग विशेष रूप से व्रत रखते हैं। लोग स्थानीय मंदिरों में इकठ्ठा होकर रात में भजन-कीर्तन का आयोजन करते हैं। इसमें भगवान श्रीराम की महिमा का बखान करने के साथ ही उनके बालस्वरूप की पूजा की जाती है। भगवान श्रीराम के साथ ही माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण की भी वंदना होती है।
राम नवमी का मुहूर्त
इस बार राम नवमी 21 अप्रैल हो रही है। हालांकि राम नवमी का शुभ मुहूर्त 20-21 अप्रैल की मध्य रात्रि को 12:13 बजे से शुरू हो रहा है। यह मुहूर्त 21 अप्रैल को 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। यही वजह है कि इस बार रामनवमी 21 अप्रैल को ही मनाई जा रही है। ग्रंथों के अनुसार भगवान राम का जन्म नवमी को दोपहर में हुआ था। इस बार राम जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त दोपहर में 11 बजकर 2 मिनट से 11 बजकर 38 मिनट तक पड़ रहा है।
कैसे
रखें
व्रत?
नवमी
के
दिन
लोग
स्नान
ध्यान
कर
व्रत
की
शुरुआत
करते
हैं।
21
अप्रैल
को
सूर्योदय
से
शुरू
होकर
यह
व्रत
अगले
सूर्योदय
तक
रखा
जाता
है।
बहुत
सारे
व्रत
नहीं
रखते
हैं
और
भगवान
की
विधि-विधान
से
पूजा
अर्चना
ही
करते
हैं।
इस
दिन
घर
पर
और
मंदिरों
में
हवन
का
आयोजन
किया
जाता
है।
कलियुग में राम नाम का महत्व
हिंदू शास्त्रों की काल गणना के अनुसार वर्तमान समय कलियुग चल रहा है। अनीति अत्याचार से भरे इस काल में ऐसी मान्यता है कि भगवान राम का नाम ही मनुष्य को तमाम भवबधाओं से पार कर देता है। कलियुग में राम नाम का स्मरण ही मनचाहा फल प्रदान करता है। कहा गया है कि अंतिम समय में राम नाम लेने वाला व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है।
राम नवमी के लिए पूजा अर्चना के साथ ही भगवान राम से जुड़े मंत्र और रचनाएं लोग अपने दोस्तों और परिजनों को भेजते हैं। आप भी भगवान राम के जन्मोत्सव पर नीचे दिए हुए शुभकामना संदेश भेज सकते हैं।
श्री
रामचन्द्राय
नमः।
पादौ
पूजयामि।
ओम
श्री
जानकीवल्लभं।
ओम
श्री
रामचन्द्राय
नमः।
सर्वांगगाणि
पूजयामि।
'ओम नमो भगवते रामचन्द्राय' का भी जाप करें।
भगवान राम की हर पूजा में नीचे दी गई यह रचना जरूर पढ़ी जाती है।
श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन हरण भवभय दारुणं, नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणं।
अयोध्या रामजन्मभूमि में इस बार बिना भक्तों के मनाई जाएगी