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Happy Mother's Day 2018: रील हो या रीयल... मां कभी झूठ नहीं बोलती.. वो बस प्यार करती है....

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नई दिल्ली। 'मां 'का नाम लेते ही दिल दिमाग पर जो तस्वीर सामने आती है उसके आगे सिर खुद ब खुद नतमस्तक हो जाता है। वक्त बदला है हमारे आस पास की हर चीज में बदलाव है क्योंकि ये ही समय की मांग है। क्योंकि आज जमाना आगे बढ़ने का है, जो इस बदलते वक्त के साथ आगे नहीं बढ़ेगा वो थम जायेगा, उसकी प्रगति रूक जायेगी। जाहिर है जब हमारे पास की हर चीज नये रूप में है तो हमारी मां के रूप में भी बदलाव होना स्वाभाविक ही है।

मेरे पास मां है..........

मेरे पास मां है..........

जरा याद कीजिए आज से करीब 43 साल पहले आयी फिल्म 'दीवार' के उस डॉयलॉग को जिसमें अभिनेता शशि कपूर अपने बड़े भाई अमिताभ को ये कहकर चुप करा देते हैं कि उनके पास मां हैं और उसकी कीमत नहीं लगायी जा सकती हैं।

मां आज मॉम बन चुकी है लेकिन.......

मां आज मॉम बन चुकी है लेकिन.......

तब से आज तक ढेरों हिन्दी फिल्मों में मां को कई रूपों में पेश किया गया है, कभी वो लोरियों के रूप में ममता की मूरत बन कर सामने आती है तो कभी अपने बच्चों को सबक सीखाने के लिए हथियार उठाती है। 'वास्तव' और ' मदर इंडिया' जैसी फिल्में इसकी साक्ष्य हैं। जिनके आगे पूरा सिनेमा जगत आज भी सजदा करता है। 'करन अर्जुन' की मां हो या 'सोल्जर' की मां दोनों ही फिल्में मां की एक नई परिभाषा गढ़तीं हैं। इस परिभाषा में हमें त्याग, समर्पण और प्यार का अनूठा मेल देखने को मिलता है। वो आज मां से मॉम बन चुकी है, उसकी सूरत में तो बदलाव हुआ है लेकिन मूरत में नहीं।

डेली सोप में मां......

डेली सोप में मां......

ये तो बड़े पर्दे की बातें हैं अब थोड़ा छोटे पर्दे की ओर चलते हैं, जहां इन दिनों डेली सोप की बाढ़ आयी हुई हैं। कोई भी चैनल खोलिए जहां सीरियल चल रहे हों वहां आपको एक नई मां देखने को मिलेगी। चाहे वो सोनी टीवी का 'कुछ रंग प्यार के' धारावाहिक हो या फिर कलर्स का 'कसम' हर सीरियल मां को एक नये रूप में पेश करता है। इन कहानियों में आपको कहीं मां आदर्श रिश्तों की दुहाई देती दिखती हैं तो कहीं छल-कपट की सारी हदों को पार करते भी दिखतीं हैं।

एड जगत का जिक्र...

एड जगत का जिक्र...

ये तो किस्से कहानियों की बातें हैं अब जरा एड जगत का जिक्र करते हैं जो मां के हाथों हर चीज बिकवा देता है। पारंपरिक मां की सबसे ज्यादा मनपसंद जगह घर की रसोई होती हैं इस लिए विज्ञापन जगत ने वहीं से शुरूआत करना उचित समझा। विज्ञापन वालों ने मसाले, अचार, पापड़, तेल, सर्फ ये सभी कुछ मां के हाथों से जमकर बिकवाया ही साथ ही वहीं मां के हाथों शैंपू, टूथपेस्ट, कपड़े, मोबाइल फोनों की भी जमकर बिक्री करवाई। क्योंकि मां तो कभी झूठ नहीं बोलती इसलिए लोगों ने जमकर इन चीजों की खरीददारी की। चाहे इंश्योरेंस पॉलिसी हो या बच्चों की डाइपर हर जगह मां सटिक बैठती हैं ।

मां कभी झूठ नहीं बोलती

मां कभी झूठ नहीं बोलती

मां की पब्लिसिटी का आलम ये है कि आज की फिल्मी अभिनेत्रियां भी विज्ञापन में मां बनने से परहेज नहीं करती हैं। चाहे वो हरदिल अजीज 'काजोल' हों जो ये कहते सुनी जाती हैं कि 'मां बनते ही कितना कुछ बदल जाता है जैसे आपका फेवरेट टीवी चैनल' या चुलवुली 'जूही' का 'कुरकुरे' का एड जो कहती हैं पंजाबी कुरकुरे में मां और पंजाब की मिट्टी की खुशबू है। कारण सिर्फ एक है और वो ये कि मां कभी झूठ नहीं बोलती वो ईमानदार होती है इसी बात को विज्ञापन जगत ने खूब कैश कराया है और आज भी बदस्तूर कराता जा रहा है। ये पूरी बातें ये साबित करती हैं कि मां सर्वोपरी है उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता है। क्योंकि मां -बच्चे से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं है, क्योंकि मां स्वार्थी नहीं होती। वो न तो काली होती हैं और न गोरी वो तो बस मां होती है। चाहे दुनिया कितनी बदल जाये ये रिश्ता कभी नहीं बदल सकता है, क्योंकि मां की ममता कभी नहीं बदलती। मदर्स डे के शुभ मौके पर दुनिया की समस्त मांओं को शत शत प्रणाम ।

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English summary
Mother's Day, celebrated on the second Sunday of May, falls on 13th May this year.
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