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हैप्पी फ्रेंडशिप डे: जय और वीरू जैसी है मोदी और अमित शाह की दोस्ती

By अंकुर शर्मा
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दोस्ती, वो शब्द है जो सिर्फ और सिर्फ चेहरे पर मुस्कान लाती है, दोस्ती वो है जो हर रिश्ते से बड़ी होती है, क्यों सही कहा ना.... दोस्तो, 7 अगस्त यानी 'फ्रेंडशिप डे' आ गया है।

वैसे तो दोस्ती का कोई दिन नहीं होता क्योंकि ये तो ऐसी खुशी है जो हर दिन हर पल सेलिब्रेट होती है। लेकिन दुनिया है न ..हर दिन को किसी रंग या किसी रूप में रिश्तों से जोड़ देती है इसलिए उसने 'फ्रेंडशिप डे' को भी बना दिया। दोस्ती में बिना शब्दों के अभिव्यक्तियों से ही बहुत कुछ कहा जाता हैं।

मोदी-शाह: यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे..छोड़ेंगे दम मगर..तेरा साथ ना छोड़ेंगे

और शायद यही अभिव्यक्ति महसूस होती है राजनीति के जय और वीरू यानी की पीएम नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच। दोनों के यराने आज देश और देश की राजनीति को एक नई शक्ल प्रदान की है। अब यह शक्ल का आकार आगे चलकर क्या होगा यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन इतना तय है कि मोदी के भरोसे और अमित शाह के विश्वास ने आज देश की संसद को भगवा रंग में रंग दिया है।

मोदी-शाह: तेरी जीत ..मेरी जीत.. तेरी हार..मेरी हार..ऐसा अपना साथ

यूं तो मोदी और शाह की उम्र में बहुत अंतर है लेकिन दोनों की दोस्ती पर उम्र का फासला भी मायने नहीं रखता है। मोदी के करीबी कहते हैं कि पीएम मोदी बहुत कम लोगों पर भरोसा करते हैं और बहुत कम लोग ही उनके निकट हैं लेकिन उन कम लोगों में सबसे ऊपर नाम अमित शाह का है जो उनके हमराज और राजनीति के हमसफर बन चुके हैं। मोदी और अमित शाह की दोस्ती केवल 32 साल पुरानी है।

<strong>अमित शाह से जुड़ी कुछ बातें जो अब जानना बेहद जरूरी है</strong>अमित शाह से जुड़ी कुछ बातें जो अब जानना बेहद जरूरी है

इन 32 सालों में मोदी और अमित शाह ने देश की राजनीति को बेहद करीब से देखा है। अगर शाह के साथ मोदी ने गुजरात में हैट्रिक पूरी की है तो वहीं साल 2002 के दंगो का गम और दंश भी झेला है। तो वहीं अमित शाह जब जेल में थे तो उनके परिवार को भी संभालने का काम मोदी ने ही किया है। यह आपस में दोनों की समझदारी और प्यार ही है जो मोदी ने सभी लोगों को दरकिनार करते हुए साल 2014 के आम चुनावों में यूपी का चुनाव प्रभारी अमित शाह को बनाया और अमित शाह ने मोदी को पार्टी की जीत का तोहफा दिया।

<strong>हैप्पी फ्रेंडशिप डे: हर एक दोस्त कमीना होता है..</strong>हैप्पी फ्रेंडशिप डे: हर एक दोस्त कमीना होता है..

कुल मिलाकर शाह और मोदी की जोड़ी रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' के जय-वीरू से कम नहीं हैं। जिस तरह से वो दोनों फिल्मी कैनवस पर दोस्ती के मिसाल है, ठीक उसी तरह से राजनीति के कैनवस पर मोदी और शाह है। जिस तरह से जय के गम में वीरू रोता था और वीरू की खुशी में जय हंसता था, उसी तरह से मोदी के हर फैसले में शाह की सहमति होती है और शाह के हर कदम पर मोदी का साथ होता है।

राजनीति ही एक ऐसा पटल है जहां कोई किसी का सगा नहीं

कहते हैं राजनीति ही एक ऐसा पटल है जहां कोई किसी का सगा नहीं होता, जो आज दोस्त के रूप में दिखते हैं वो कल आपको दुश्मनी निभाते नजर आयें तो आपको आश्चर्य नहीं होगा। लेकिन जिस तरह से मोदी ने नियमों को तोड़ते हुए पीएम सीट को हासिल किया है, उसी तरह से राजनीति के इस तंश जुमले को भी बदल कर दोस्ती की एक नई और अटूट मिसाल पेश की है।

बने चाहें दुश्मन जमाना हमारा..सलामत रहे ये दोस्ताना हमारा

फ्रेंडशिप डे के इस पावन पर्व पर आम लोगों की बस एक यही दुआ है कि राजनीति कें मंच पर शाह-मंच की यह जोड़ी यूं ही जगमगाती रहे और गाती रहे बने चाहें दुश्मन जमाना हमारा..सलामत रहे ये दोस्ताना हमारा

English summary
Friendship Day is a day dedicated to honoring and strengthening the universal values of friendship and trust. Pm Narendra Modi and Bjp President Amit Shah are best Friend just Like JAY and Veeru. They are best example of true Friends.
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