Happy Friendship Day 2018: हर एक दोस्त जरूरी होता है
बेंगलुरु। दोस्तो 'फ्रेंडशिप डे' आ गया है, वैसे तो दोस्ती का कोई दिन नहीं होता क्योंकि ये तो ऐसी खुशी है जो हर दिन हर पल सेलिब्रेट होती है लेकिन दुनिया है न ..हर दिन को किसी रंग या किसी रूप में रिश्तों से जोड़ देती है इसलिए उसने 'फ्रेंडशिप डे' को भी बना दिया। दोस्ती बिना जिंदगी वैसी ही है जैसे नमक बिना सब्जी और तड़के बिना दाल, यानी कि बेस्वाद, बेनूर और फीकी सी जिंदगी, जिसमें ना तो कोई चमक होती है और ना ही कोई ललक होती है। दोस्त प्यार भी है, दोस्त जिंदगी भी लेकिन एक बात और भी गजब है इस रिश्ते में और वो ये है कि दोस्ती कभी-कभी कमीनेपन पर उतर जाती है लेकिन यह कमीनापन भी दोस्ती की हद तक ही होता है और यह बात केवल वह ही समझ सकता है जिसके पास दोस्त है और इसलिए ही कहा गया है कि हर एक दोस्त जरूरी होता है।
जो तेरा है वो मेरा है..
मशहूर निर्माता-निर्देशक डेविड धवन ने अगर कहा कि हर दोस्त कमीना होता है.. तो गलत क्या है.. क्योंकि जब दोस्त यह कह सकता है कि..जो तेरा है वो मेरा है तो फिर जब किसी दोस्त की प्रेमिका पर उसका दोस्त लाइन मारे तो फिर वह कमीना ही हो सकता है? इस दोस्ती से ही कभी-कभी इंसान को इश्क वाला लव हो जाता है तो कभी यह दोस्ती-यारी इंसान का ईमान बन जाती है।
दोस्ती
क्या
है
इसे
परिभाषित
कर
पाना
बहुत
मुश्किल
है
लेकिन
भावनाओं
और
एहसास
के
इस
रिश्ते
को
हम
कुछ
इस
तरह
से
कलमबद्ध
कर
सकते
हैं...
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हर रिश्ते से बड़ी 'दोस्ती'
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो मामूली घटनाओं और यादों को भी खास बना देता है। हमारे जेहन में ऐसे बहुत से पलों को ताउम्र के लिए कैद कर देता है। जो वापिस तो कभी नहीं आते पर हाँ जब भी आप अपने पुराने दोस्तों से मिलते हैं तो अब उन बातों को याद कर जरूर हँसते होंगे। बेशक आज की 'बिजी लाइफ' के चलते दोस्त रोज मिल नहीं पाते लेकिन दिल से दूर नहीं होते हैं, उनकी रूह, उनकी सांसो में दोस्ती हमेशा साथ होती है।
फ्रेंडशिप डे का नाम दे देना कितना सही है?
दोस्ती के लिए कोई दिन तय कर उसे फ्रेंडशिप डे का नाम दे देना कितना सही है यह कहना थोड़ा मुश्किल है। पर इतना जरूर है कि जिस दिन पुराने यार सब मिल बैठ जाएं उनके लिए वही 'फ्रेंडशिप डे' हो जाता है। दोस्ती को सीमाओं में बांधना बेवहकूफी होती है। किसी जवां लड़के या यंग लड़की के दोस्त साठ साल के बूढ़े भी हो सकते हैं।
दोस्ती आईना है सही-गलत का
एक मां भी अपने बेटे की और एक पिता भी अपनी बेटी के अच्छे दोस्त हो सकते हैं। क्योंकि दोस्त वो बातें बताता है जो किसी क्लास या कोर्स में नहीं पढ़ाई जाती हैं। एक लड़का और एक लड़की जो अपने जीवन के भावी सपनों में खोए होते हैं वो भी अपने हर रिश्ते में पहले एक दोस्त खोजते हैं जानते हैं क्यों? क्योंकि यही वो आईना है जो सच और झूठ का अंतर बताता है।
हर दोस्त कमीना होता है..
शायद जिंदगी के थपेड़ों से बचने के लिए थोड़ा कमीना होना भी काफी जरूरी है जो इंसान को एक दोस्त ही समझा सकता है। दुनिया के आदर्श और सच्ची-गलत राहें तो बच्चों को मां-बाप और उसके शिक्षक सिखा देते हैं लेकिन जिंदगी के कुछ पलों के लिए इंसान को कभी-कभी टेढा़ बनना होता है जिसके लिए इंसान को दोस्त की जरूरत भी होती है। क्योंकि दोस्ती में कमीनेपन का मसाला ना हो तो वह दोस्ती स्वादिष्ट नहीं होती।
इस दिन के लिए हाय तौबा क्यों?.....
लेकिन अफसोस इस खूबसूरत रिश्ते और खूबसूरत दिन को देश के कुछ ऐसे लोग जो अपने आप को बेहद ही समझदार समझते हैं, अपने आप को समाज का ठेकेदार कहते हैं,को ये दिन पाश्चात्य सभ्यता का दुष्प्रभाव लगता है। उनका मानना है इससे हमारे युवा भटक रहे हैं, अब ये उन्हें कौन बताये कि भले ही फ्रेंडशिप डे पाश्चात्य सभ्यता की देन है, लेकिन फ्रेंडशिप तो हमारे देश की मिट्टी में हैं। भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा की दोस्ती के आगे क्या कोई और मिसाल है, नहीं ना..तो फिऱ इस दिन के लिए हाय तौबा क्यों?.....
'हैप्पी
फ्रेंडशिप
डे'
हां
अगर
उन्हें
इस
दिन
के
मनाये
जाने
के
ढंग
से
एतराज
हो
तो
बेशक
उसे
दूर
करें
लेकिन
इस
दिन
को
कोस
कर,
विरोध
करके
इसकी
गरिमा
को
नष्ट
करने
का
उन्हें
कोई
अधिकार
नहीं
हैं।
फिलहाल
मेरा
तो
यही
कहना
है
अपने
साथियों
से
कि
वो
इस
दिन
का
महत्व
समझे,
अपने
सच्चे
मित्रों
को
पहचाने
और
इस
दिन
को
बेहद
इंज्वाय
करे
,
न
जाने
ये
पल
कल
नसीब
हो
न
हो।
मेरी
ओर
से
भी
अपने
सभी
साथियों
को
'हैप्पी
फ्रेंडशिप
डे'।
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