Happy Birthday Sardar Vallabhbhai Patel: भारत के बिस्मार्क और लौह पुरुष
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नई दिल्ली। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल केवल आदर्श व्यक्तित्व नहीं बल्कि एक निडर, साहसी, प्रखर इंसान थे, जिन्होंने आजादी से पहले और आजादी के बाद भी देश को एक धागे में पिरोने की भरपूर कोशिश की। वो पैदा तो वल्लभ भाई पटेल के रूप में हुए थे लेकिन अपने महान कार्यों के कारण वो हिंदुस्तान के सरदार वल्लभ भाई पटेल बन गए। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक लेवा गुर्जर प्रतिहार कृषक परिवार में हुआ था। झवेरभाई पटेल और लाडबा देवी की चौथी संतान वल्लभ ने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई भी की और कुछ दिनों तक इन्होंने भारत वापस आकर अहमदाबाद में वकालत भी की लेकिन इनके दिल और दिमाग पर महात्मा गांधी के विचारों ने ऐसा असर किया, जिसके कारण इन्होंने सब कुछ छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
खेडा संघर्ष
स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बडा योगदान खेडा संघर्ष में था। गुजरात का खेडा खण्ड (डिविजन) उन दिनो भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।
वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि
बारडोली सत्याग्रह, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुआ था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया था। उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया। सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर अंतत: विवश होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा। इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि प्रदान की।
भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो चुका था लेकिन इस विशाल देश के दो हिस्से हो चुके थे। बंटवारे के कारण देश के कई हिस्सों में निराशा और आक्रोश था जिसे थामने का काम वल्लभ भाई पटेल ने किया और वो उसमें सफल भी हुए। सरदार वल्लभ भाई पटेल आजाद भारत के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री थे। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में इन्होंने सफलता पूर्वक केंद्रीय भूमिका निभाई थी और इसी वजह से इन्हें भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष कहा जाता है।
भारत रत्न से नवाजा गया
15 दिसम्बर, 1950 को शेर-ए-हिंदुस्तान सरदार पटेल का निधन मुंबई में हुआ और वहीं पर उनका अंतिम संस्कार कर किया गया। सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया, यह अवार्ड उनके पौत्र विपिनभाई पटेल द्वारा स्वीकार किया गया था।
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