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Birthday Special: गजल सम्राट जगजीत सिंह.... इस दिल पे लगा के ठेस...कहां तुम चले गये...

संगीत के उपासक, गजल सम्राट और सुरों के सरताज जगजीत सिंह की आत्मा की शांति लिए वनइंडिया परिवार भी प्रार्थना करता है।

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मुंबई। गजल सम्राट जगजीत सिंह का आज जन्मदिन है। गजलों के बादशाह जगजीत सिंह भले ही सशरीर हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनकी आवाज आज भी हमारे कानों में पहले की तरह खनक रही है। गजल गायिकी को एक मुक्कमल मुकाम देने वाले 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के गंगानगर में जन्मे जगजीत सिंह गायिकी के सरताज कहे जाते हैं। उन्होंने गजल को नया आयाम दिया।

गंगानगर के खालसा स्कूल

करोड़ों सुनने वालों के चलते सिंह साहब कुछ ही दशकों में जग को जीतने वाले जगजीत बन गए। शुरूआती शिक्षा गंगानगर के खालसा स्कूल में हुई और बाद पढ़ने के लिए जालंधर आ गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। उन्हें पहला ब्रेक गुजरात फिल्म के लिए मिला। लेकिन उसके बाद संगीत के जूनन ने उन्हें मायानगरी मुंबई पहुंचा दिया, जहां उन्होंने अपने सुरों से वो इबादत लिखी जिसे मिटा पाना नामुमकीन है।

1969 में मशहूर गायिका चित्रा से प्रेम विवाह रचाया

अपनी आवाज से लोगों के बीच पहचान बनाने वाले जगजीत सिंह 1969 में मशहूर गायिका चित्रा से प्रेम विवाह रचाया। अर्थ, प्रेमगीत, लीला, सरफरोश, तुम बिन, वीर जारा ये वो फिल्में हैं जिन्होंने उनको हिंदी सिनेमा जगत पर शिखर पर पहुंचाया। जगजीत सिंह की मौत चित्रा सिंह के लिये तीसरी त्रासदी लेकिन अपने स्टेज शो के जरिये उन्होंने उर्दू से भरी गजलों को आम आदमी की आवाज बना दिया। फिल्मी सितारों को ही नहीं, बल्कि अटल बिहारी जैसे कवि की रचना गाकर जगजीत सिंह ने ये जता दिया कि वो केवल गीतकारों के गीत ही नहीं गा सकते हैं।

जगजीत सिंह को पद्मश्री और पद्मविभूषण

पंजाबी, बंगाली, गुजराती, हिंदी और नेपाली भाषाओं में गाना गाने वाले जगजीत सिंह को पद्मश्री और पद्मविभूषण से नवाजा जा चुका है। अपने जवान बेटे को एक सड़क दुर्घटना में खो देने का गम उनकी गजल और रचनाओं में अक्सर सुना जाता था। इसलिए शायद आज भी उनकी गजलों में वो दर्द अक्सर छलकता है जो सुनने वालों के दुखों को कम कर देता है।

जगजीत सिंह जैसा कोई ना था, ना है और ना ही हो

नींद भी देखी..ख्वाब भी देखा...कोई नहीं है ऐसा...सही में जगजीत सिंह जैसा कोई ना था, ना है और ना ही होगा। संगीत के उपासक, गजल सम्राट और सुरों के सरताज जगजीत सिंह की आत्मा की शांति लिए वनइंडिया परिवार भी प्रार्थना करता है। वाकई आज उनके अंदाज में ही पूरा देश उन्हें याद कर रहा है और कह रहा है ..

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे ..
हमने क्या खोया हमने क्या पाया
हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक्त ने ऐसा गीत क्यूं गाया....

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English summary
संगीत के उपासक, गजल के पूजारी और सुंरों के सरताज जगजीत सिंह की आत्मा की शांति लिए वनइंडिया परिवार भी प्रार्थना करता है।
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