Ganesh Chaurthi 2018: इस गणेशोत्सव कीजिए बप्पा के इन मंदिरों के दर्शन
इस बार गणेश चतुर्थी 13 सितंबर से शुरू हो रही है। जहां गणेश चतुर्थी का महाराष्ट्र में अलग ही जुनून होता है, तो वहीं अब देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्योहार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
नई दिल्ली। इस बार गणेश चतुर्थी 13 सितंबर से शुरू हो रही है। जहां गणेश चतुर्थी का महाराष्ट्र में अलग ही जुनून होता है, तो वहीं अब देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्योहार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले बप्पा के इस त्योहार में भक्त पहले बप्पा को अपने घर लाते हैं और फिर उन्हें गणेश चतुर्थी के दिन विसर्जित कर देते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी पर हम आपको बप्पा के उन 10 मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका काफी महत्व है।
सिद्धिविनायक मंदिर, महाराष्ट्र
सिद्धिविनायक मंदिर पूरे भारत में बप्पा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित इस मंदिर में आम से लेकर खास लोग बप्पा से अपनी मुरादें मांगने आते हैं। यहां नेता, बॉलीवुड सितारे अक्सर नजर आते हैं। इतना ही नहीं, एप्पल सीईओ टिम कुक ने भी 2016 में अपनी यात्रा इसी मंदिर में पूजा कर शुरू की थी। सिद्धिविनायक मंदिर को एक निसंतान महिला ने बनवाया था, ताकि बप्पा बाकि महिलाओं को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दें।
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मधुर गणपति मंदिर, केरल
केरल का मधुर गणपति मंदिर भगवान शिव का मंदिर था, लेकिन आज इसकी प्रसिद्धि का कारण बप्पा हैं। इस मंदिर की दीवार पर पुजारी के बेटे ने गणेश की मूरत बनाई थी, जो धीरे-धीरे बढ़ती चली गई। तभी से इस मंदिर में बप्पा की पूजा होने लगी। कहा तो ये भी जाता है कि इस मंदिर में बप्पा की मूर्ति मिट्टी या पत्थर की नहीं, बल्कि अलग-अलग प्रकार के तत्वों से बनी है।
विनायक मंदिर, आंध्र प्रदेश
तिरुपति से 68 किलोमीटर दूर चित्तूर में के नजदीक कनिपकम में स्थित विनायक मंदिर की कहानी काफी रोचक है। कहा जाता है कि तीन भाई हुआ करते थे जो देख, सुन और बोल नहीं सकते थे। अपने खेत में पानी डालने के लिए वो एक कुआं खोद रहे थे। जिससे वो खुदाई कर रहे थे वो कुएं में नीचे जा गिरा और किसी चीज से टकरा गया। जब उन्होंने और खोदा तो तीनों को उनकी अक्षमता से मुक्ति मिल गई। गांववालों ने वहां खुदाई क तो बप्पा की एक मूर्ति मिली। काफी खुदाई के बाद भी उस मूर्ति का तल नहीं मिला। बस तभी से बप्पा वहां पानी में विराजमान हैं।
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दगादुशेठ हलवाई गणपति मंदिर, महाराष्ट्र
पुणे के दगादुशेठ हलवाई गणपति मंदिर की भी अपनी ही आस्था है। इस मंदिर को 100 साल से भी ज्यादा पहले दगादुशेठ हलवाई ने बनवाया था। बेटे की प्लेग के कारण मृत्यु होने के बाद दगादुशेठ और उनकी पत्नी डिप्रेशन में चले गए थे। उससे बाद उससे उबरने के लिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में हर साल देश-दुनिया से लोग दर्शन के लिए आते हैं।
रणथंबौर गणेश मंदिर, राजस्थान
आपने बप्पा को हाथ में लड्डू लिए कई बार देखा होगा, लेकिन त्रिनेत्र बप्पा का मंदिर केवल राजस्थान में मिलेगा। राजस्थान के रणथंबौर किले में त्रिनेत्र बप्पा विराजमान हैं। ये इकलौता मंदिर है जहां बप्पा अपने पूरे परिवार, पत्नी रिद्धी-सिद्धी और बेटों शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर का इतिहास राजा हम्मीर और अलाउद्दीन खिलजी के समय का है। रणथंबौर किले में इस मंदिर का निर्माण राजा हम्मीर ने कराया था। वो बप्पा के परम भक्त कहे जाते थे।