Ganesh Chaturthi 2018: एक चूहा कैसे बन गया गणपति बप्पा की सवारी? पढ़ें यहां
'एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी'। मूस की सवारी करने वाले एकदन्त भगवान गणेश का त्योहार गणेश चतुर्थी पूरे धूमधाम से शुरू हो गया है। गणेश चतुर्थी की धूम इस वक्त पूरे देश में देखी जा रही है।
नई दिल्ली। 'एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी'। मूस की सवारी करने वाले एकदन्त भगवान गणेश का त्योहार गणेश चतुर्थी पूरे धूमधाम से शुरू हो गया है। गणेश चतुर्थी की धूम इस वक्त पूरे देश में देखी जा रही है। मंदिरों से लेकर पंडालों में बप्पा की मूर्ति की स्थापना की जा चुकी है। भक्त पूरे हर्षोल्लास के साथ 10 दिनों तक बप्पा की सेवा करने को एकदम तैयार हैं। बप्पा के साथ-साथ सभी के घरों में उनकी सवारी यानि मूषक भी आई है। क्या आप जानते हैं कि एक छोटा सा मूषक कैसे बना बप्पा की सवारी?
कैसे बना मूषक बप्पा की सवारी?
भगवान गणेश जहां-जहां जाते हैं, वहां-वहां उनकी सवारी मूषक भी साथ जाता है। एक छोटा सा मूषक उनकी सवारी कैसे बना, इसके पीछे एक प्रचलित कथा है। कथा के मुताबिक प्राचीन काल में आधा भगवान और आधा राक्षस प्रवृत्ति का एक नर हुआ करता था जिसका नाम क्रोंच था। देवों के राजा इंद्र ने एक दिन सभी मुनियों को अपनी सभा में बुलाया। इस सभा में क्रोंच भी आया। सभा में क्रोंच ने गलती से एक मुनि के पैर पर पैर रख दिया, जिसके बाद मुनि ने क्रोध में आकर उसे चूहा बनने का श्राप दे डाला। क्रोंच ने मुनि से काफी क्षमा मांगी, लेकिन वो अपना श्राप वापस नहीं ले पाए।
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क्रोंच को मिला चूहा बनने का श्राप
मुनि ने फिर क्रोंच को वरदान दिया और काह कि वो आने वाले समय में भगवान गणेश की सवारी बनेंगे। इस दौरान क्रोंच का आतंक बढ़ता गया। वो कोई मामूली चूहा नहीं, बल्कि एक विशाल मूषक था। वो चंद मिनटों में ही पहाड़ के पहाड़ कुतर डालता था। एक दिन जब महर्षि पराशर भगवान गणेश का ध्यान कर रहे थे, तब क्रोंच ने उनकी कुटिया बर्बाद कर दी। बाहर खड़े लोगों द्वारा भी जब क्रोंच शांत नहीं हुआ तो महर्षि भगवान गणेश के पास गए और उनसे समाधान मांगा।
मिनटों में पहाड़ कुतर देता था ये मूषक
भगवान गणेश ने चूहे को पकड़ने के लिए एक पाश फेंका जिसने उसका पीछा पाताल तक किया। वो पाश चूहे को पकड़कर भगवान गणेश के सामने लाया। भगवान गणेश ने चूहे से तबाही का कारण जानना चाहा, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। चूहे की खामोशी देख कर भगवान गणेश ने उससे कहा कि वो अब उनके आश्रय में है, चाहे तो जो मांग ले, लेकिन महर्षि को परेशान न करे। भगवान गणेश की बात सुनकर चूहा घमंड में बोला कि उसे कुछ नहीं चाहिए।
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जब बप्पा ने किया मूस के घमंड को चूर
चूहे ने कहा कि उसे तो कुछ नहीं चाहिए, लेकिन अगर बप्पा उससे कुछ चाहते हैं तो मांग लें। चूहे की ये बात सुनकर भगवान गणेश ने उससे कहा कि वो अब से उनकी सवारी बनेगा, जिसे क्रोंच चूहे ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद जब भगवान गणेश चूहे पर बैठे तो उनके देह के भार से चूहा दबने लगा। उसने लाख कोशिशें की लेकिन भगवान को अपने ऊपर बिठाकर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका।
भगवान गणेश के हमेशा साथ रहता है मूषक
इस बात ने चूहे का सारा घमंड नष्ट कर दिया। चूहे ने भगवान गणेश से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। भगवान गणेश ने भी चूहे को माफ कर दिया और उसके बाद से वो मूषक उनकी सवारी बना। कहीं भी भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति बिना मूषक के नहीं दिखाई देती है। जहां-जहां बप्पा होते हैं, वहां उनका मूषक जरूर होता है।
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