Gandhi Jayanti 2020 Speech: महात्मा गांधी के जन्मदिवस पर इस तरह से करें प्रभावशाली भाषण तैयार
नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हम प्यार से बापू कहते हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख चेहरा बने महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए देश को स्वतंत्रता दिलाई थी। ये गांधी की तपस्या ही थी जिसके कारण 200 सालों बाद देश ने स्वतंत्र हवा को महसूस किया। गांधी केवल एक नेता ही नहीं बल्कि एक निष्काम कर्मयोगी और सच्चे अर्थों में युग पुरुष थे। बापू के जन्मदिन पर वैसे तो देश में छुट्टी होती है लेकिन फिर भी कई जगह बापू के सम्मान में कार्यक्रम आयोजन किए जाते हैं, जिसमें भाषण देना होता है, जिसमें लोगों को काफी समस्या होती है।
इस तरह से करें प्रभावशाली भाषण तैयार
ऐसे में लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है, यहां हम आपको कुछ आसान से टिप्स बता रहे हैं, जिसके जरिए आप बहुत आसानी से अपना प्रभावशाली भाषण तैयार कर सकते हैं।
पहले चुने भाषण का शीर्षक, जो निम्निलिखित हो सकते हैं
- भारत की स्वतंत्रता में अंहिसा आंदोलन का महत्व
- महात्मा गांधी के प्रमुख आंदोलन
- महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी प्रमुख घटनाएं
- अस्पृश्यता के खिलाफ गांधी जी की मुहिम
- गांधी जी के विचार
सबसे पहले अभिवादन करें
परम आदरणीय देवियों और सज्जनों एवं मेरे प्यारे भाई-बहनों
- भाषण के शुरू में अपने मित्रों और सभा में बैठे लोगों का अभिवादन करें। अभिवादन के बाद बता सकते हैं कि आज गांधी जी की जयंती है और उसके बाद आप अपने भाषण में चुने हुए शीर्षक के आधार पर बातें करनी शुरू करें।
- आप अपनी स्पीच को एक बार लिख लें और बोल कर देखें।
'आप मुहावरों का जिक्र करें'
- आप फेमस लोगों की बातों को भी कोड कर सकते हैं अपने स्पीच में।
- आप अपने भाषण को लोगों से आंख से आंख मिलाकर कहे, जिससे ऐसा ना लगे की आप रटकर बोल रहे हैं।
- प्रभावशाली भाषण के लिए आप मुहावरों और छोटे-छोटे किस्सों का जिक्र करें।
- अच्छी शायरियां या कविताएं भी शामिल करें।
- अंत में सभी का धन्यवाद देते हुए जयहिंद-जय भारत कहें।
कुछ अनकही बातें
- महात्मा गांधी 13 बार गिरफ्तार हुए।
- उन्होंने 17 बड़े अनशन किए थे।
- बापू लगातार 114 दिन भूखे रहे थे।
- गांधी जी के नाम से भारत में 53 मुख्य मार्ग हैं जबकि विदेशों में 48 सड़के हैं।
- 1921 में उन्होंने प्रण लिया आजादी तक हर सोमवार उपवास रखूंगा।
- उन्होंने कुल एक हज़ार इकतालीस दिन उपवास किया। जीवन में 35, 000 पत्र लिखे थे