जानिए अटल बिहारी ने क्यों कहा था-पांचाली अपमानित है?
नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया, उनका गुरुवार दोपहर बाद एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 93 साल के थे। वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी परेशानी के चलते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। मधुमेह के शिकार वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम कर रहा था, लंबी लड़ाई के बाद आज वो जिंदगी की जंग हार गए और सदा के लिए उन्होंने दुनिया से विदाई ले ली।
विरोधी भी करते हैं अटल बिहारी बाजपेयी का दिल से सम्मान...
अटल बिहारी बाजपेयी भाजपा पार्टी का वो आदर्श चेहरा थे, जिनके आगे सभी सियासी पार्टियां भी नतमस्तक हो जाती थीं। बेहतरीन कवि, महान नेता और सफल पीएम के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले अटल बिहरी बाजपेयी आज भले ही सशरीर राजनीति से दूर हो गए थे लेकिन उनके आदर्श बातें आज भी लोगों पर असर करती थीं, तभी तो कभी उनकी खड़ाऊ तो कभी उनकी चिठ्ठी लोगों के जीतने का कारण बनी।
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हर पंचायत में पांचाली अपमानित है
अटल जी के अंदर एक सुंदर कवि बसता था, जो समय-समय पर लोगों के बीच उपस्थित होता था। उनके छंदों की मिठास का ही फल था कि उनकी कविता को कभी सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज दी तो कभी बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान पर्दे पर चरितार्थ करते दिखे। उनकी कुछ बेहद मशहूर कविताए और छंद थे, जिन्हें पढ़ने पर उनके गंभीर चिंतन का आभास होता था। ऐसा ही है बहुत फेमस कोट है उनका जिनमें उन्होंने कहा था- हर पंचायत में पांचाली अपमानित है बिना कृष्ण के आज महाभारत होना है, कोई राजा बने, रंक को तो रोना है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में हुआ था
आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे., उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया था।
राजनीति से संन्यास ले चुके थे वाजपेयी
6 अप्रैल, 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व वाजपेयी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। लोकतंत्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने 1997 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। 19 अप्रैल, 1998 को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने पांच वर्षों में देश ने प्रगति के अनेक आयाम छुए। वो राजनीति से संन्यास ले चुके थे।
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