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Tarun Sagar: पवन कुमार जैन से कैसे बने मुनि तरुण सागर, पढ़ें 10 कड़वे प्रवचन

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नई दिल्ली। जैन मुनि तरुण सागर का शनिवार को निधन हो गया। 20 दिन पहले उन्हें पीलिया होने के बाद दिल्ली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था लेकिन उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। कुछ दिन से उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी।

विस्तार से जानते हैं दिगम्बर को मानने वाले 'जैन मुनि तरुण सागर' के बारे में.. जो कभी 'पवन कुमार जैन' के नाम से जाने जाते थे..

पवन कुमार से कैसे बने मुनि तरुण सागर, पढ़ें 10 कड़वे प्रवचन
  • 'जैन मुनि तरुण सागर' का असल नाम 'पवन कुमार जैन' है।
  • इनका जन्म 26 जून 1967, ग्राम गुहजी, जिला दमोह, राज्य मध्य प्रदेश में हुआ था।
  • इनके माता-पिता का नाम श्रीमती शांतिबाई जैन और प्रताप चन्द्र जैन था।
  • कहा जाता है कि इन्होंने 8 मार्च 1981 में घर छोड़ दिया था।
  • इनकी शिक्षा-दीक्षा छत्तीसगढ़ में हुई है।
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  • इनके प्रवचन की वजह से इन्हें 'क्रांतिकारी संत' का तमगा मिला हुआ है।
  • इन्हें 6 फरवरी 2002 को म.प्र. शासन द्वारा' राजकीय अतिथि ' का दर्जा मिला।
  • 2 मार्च 2003 को गुजरात सरकार ने उन्हें 'राजकीय अतिथि' के सम्मान से नवाजा।
  • 'तरुण सागर' ने 'कड़वे प्रवचन' के नाम से एक बुक सीरीज स्टार्ट की है, जिसके लिए वो काफी चर्चित रहते हैं।

आइए एक नजर डालते हैं 'जैन मुनि तरुण सागर' के 10 'कड़वे प्रवचन' के बारे में..

तुम्हारी वजह से कोई इ्ंसान दुखी रहे

तुम्हारी वजह से कोई इ्ंसान दुखी रहे

अगर तुम्हारी वजह से कोई इ्ंसान दुखी रहे तो समझ लो ये तुम्हारे लिए सबसे बड़ा पाप है, ऐसे काम करो कि लोग तुम्हारे जाने के बाद दुखी होकर आसूं बहाए तभी तुम्हें पुण्य मिलेगा।

गुलाब कांटों में भी हंसता है

गुलाब कांटों में भी हंसता है

गुलाब कांटों में भी हंसता है इसलिए लोग उसे प्रेम करते हैं, तुम भी ऐसे काम करो कि तुमसे नफरत करने वाले लोग भी तुमसे प्रेम करने पर विवश हो जायें।

हंसते मनुष्य हैं कुत्ते नहीं

हंसते मनुष्य हैं कुत्ते नहीं

हंसने का गुण केवल मानवों को मिला है इसलिए जब भी मौका मिले मुस्कुराइये, कुत्ता चाहकर भी मुस्कुरा नहीं सकता।

प्रेम से जीतो

प्रेम से जीतो

इंसान को आप दिल से जीतो तभी आप सफल हैं, तलवार के बल पर आप जीत हासिल कर सकते हैं लेकिन प्यार नहीं पा सकते हैं।

जो सहता है वो ही रहता है

जो सहता है वो ही रहता है

अपने अंदर इंसान को सहनशक्ति पैदा करनी चाहिए क्योंकि जो सहता है वो ही रहता है, जो नहीं सहता वो टूट जाता है।

किसी को बदल नहीं सकते

किसी को बदल नहीं सकते

परिवार में आप किसी को बदल नहीं सकते हैं लेकिन आप अपने आप को बदल सकते हैं, आप पर आपका पूरा अधिकार है।

जीवन का सार

जीवन का सार

पूरी दुनिया को आप चमड़े से ढ़क नहीं सकते हैं लेकिन आप अगर चमड़े के जूते पहनकर चलेंगे तो दुनिया आपके जूतों से ढ़क जायेगी, यही जीवन का सार है।

कन्या भ्रूण हत्या

कन्या भ्रूण हत्या

तरुण सागर ने कहा, जिनकी बेटी ना हो उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो वहां शादी करनी ही नहीं चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो उस घर से साधु-संत भिक्षा ना लें।

राजनीति और धर्म पति-पत्नी

राजनीति और धर्म पति-पत्नी

तरुण सागर ने कहा था कि राजनीति को हम धर्म से ही कंट्रोल कर सकते हैं। धर्म पति है, राजनीति पत्नी। हर पति की ये ड्यूटी होती है कि वो अपनी पत्नी को सुरक्षा दे, हर पत्नी का धर्म होता है कि वो पति के अनुशासन को स्वीकार करे, ऐसा ही राजनीति और धर्म केे भी साथ होना चाहिए क्योंकि बिना अंकुश के हर कोई खुलेे हाथी की तरह हो जाता है।

भगवाकरण नहीं है बल्कि शुद्धिकरण

भगवाकरण नहीं है बल्कि शुद्धिकरण

तरुण सागर ने कहा था कि हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर पर आरोप लगा था कि उन्होंने ने राजनीति का भगवाकरण कर दिया है लेकिन वो गलत हैं क्योंकि उन्होंने भगवाकरण नहीं बल्कि राजनीति का शुद्दिकरण किया है।

Comments
English summary
Muni Tarunsagar is a Digambara monk and the author of a book series titled Kadve Pravachan (bitter discourse).here is Everything you need to know about him.
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