कवि सम्मेलन में भिड़े केजरीवाल और नरेंद्र मोदी
केजरीवाल - ‘आपने खूब तालियाँ बजायीं ..लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूँ ज्वाला जी के के पास भी कोइ मौलिक कविता नहीं है। यह साहित्य के नाम पर जीरो हैं.एक अटल जी थी जिन्होंने साहित्य को दिशा दी और एक ये हैं जो साहित्य को दिग्भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं.बहरहाल अब मैं एक नुमाया शायर को बुलाना चाहता हूँ जिसे आज़म बहादुर उर्फ़ तैश ‘रामपुरी' के नाम से जाता है।
तैश रामपुरी - ग़ज़ल ज्वाला जी को नज़र करता हूँ -
छोड़
दो
यूपी
को
तुम
गुजरात
मैं
लूंगा
नहीं,
शेर
रख
रखे
हजारों
मैं
कोई
गूंगा
नहीं।
चाय
सत्ता
की
मुकम्मल
बन
नहीं
पायेगी
अब,
दूध
तो
है
दूध
गोबर
तक
तुम्हे
दूंगा
नहीं।
केजरीवाल -तैश जी , ने अपने नाम को सार्थक कर दिया है। वैसे कायदे से आपका नाम भैंस रामपुरी होना चाहिए श्रोताओं ,अब आप तय करिए दोनों में कौन साम्प्रदायिक है। (तैश साब भड़क उठे)।
तैश -‘विकट जी, पैजामे में रहिये, आपने कौन सा तीर मार लिया दिल्ली में?'
केजरीवाल -क्या बात करते हैं सर जी ..'आप' ने तीर ही तो मारा है। मैंने दो दिनों तक धरना देकर तीन पुलिस वालों को छुट्टी दिलाई है।
तैश -‘और मैंने भैंस न ढूंढ पाने के लिए तीन इन्स्पेक्टरों को सस्पेंड किया ..बड़ा कौन?'
केजरीवाल ‘आन्दोलन करूँगा सरजी....अब मैं जन भैंसपाल बिल लेकर आऊंगा..'
(मंच का माहौल एक बार फिर हंगामेदार यानी अच्छा हुआ)
केजरीवाल -‘हंगामा करने के लिए एक बार फिर से शुक्रिया!अब मैं बिना किसी भूमिका अपने शिष्य अन्ना व्यथित को बुलाना चाहूँगा जिनको हाल ही में मैंने अंगूठा दिखाना सिखाया है'।
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