इको-फ्रेंडली दिवाली: फिर लौटा गोबर से बने दीयों का ट्रेंड, एक नहीं कई हैं फायदे
नई दिल्ली। भारतीय संस्कृति जितनी पुरानी है उतनी ही प्रचलित भी है। यही कारण है कि यहां सदियों से इस्तेमाल हो रही चीजों ने आज भी अपनी पहचान नहीं खोई है। हमारे देश में गाय के गोबर का इस्तेमाल आज भी किया जाता है, लेकिन ऐसा महज पूजा-पाठ तक ही सीमित रहा है।
लेकिन इस बार एक बार फिर गोबर से बने दीयों का ट्रेंड लौट आया है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरुकता का ही नतीजा है कि लोग इस बार चीनी सामान के बजाए अपनी संस्कृति की ओर लौट रहे हैं। इस बार गोबर से बने दीयों की दिवाली पर काफी मांग है।
बहुत से फायदे देंगे ये दीये
इन दीयों का अगर दिवाली पर इस्तेमाल किया जाएगा, तो ये ना केवल एक बल्कि बहुत से फायदे देंगे। एक ईको-फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए यह पहला कदम होगा। अब लोग अपने घरों में रोशनी के लिए चीनी लाइटों की बजाय गोबर से बने दीयों के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं। यही वजह है कि इसके लिए लोगों को जागरुक भी किया जा रहा है।
ये दीये पर्यावरण के अनुकूल हैं
इन देसी दीयों ने एक बार फिर बाजार में अपनी जगह बना ली है। गाय के गोबर से बने इन दीयों को गोबर में घी और इसेंशियल ऑइल डालकर बनाया जा रहा है। ये दीये पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल हैं। इन दीयों को इस्तेमाल के बाद फेंकने की भी जरूरत नहीं है, इनका इस्तेमाल खाद के रूप में किया जा सकता है।
मानसिक शांति भी देंगे ये दीये
जानकारी के मुताबिक ये दीये इसलिए भी खास हैं क्योंकि इनमें लेमन ग्रास और मिंट जैसे उत्पादों का इस्तेमाल भी किया जाता है। ये घर की सुंदरता तो बढ़ाएंगे ही साथ ही आपको मच्छरों के आतंक से भी बचाएंगे। इनके जलने के बाद जो खुशबू आएगी वो आपको मानसिक शांति के साथ-साथ आराम भी देगी। इनके प्रभाव से आपकी नर्व्स को आराम मिलेगा। माना जा रहा है कि गोबर के दीयों के आने से पशुपालन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
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