जब पाकिस्तान एयरफोर्स के पायलट ने बचाई IAF पायलट की जिंदगी
नई दिल्ली। वर्ष 1999 में जब कारगिल वॉर चल रहा था तो दोनों ही देशों की सेनाओं और नागरिकों के बीच एक अजीब तरह की नफरत देखने को मिल रही थी। दोनों ही देशों के नागरिकों में एक-दूसरे के लिए नफरत का माहौल था। युद्ध के बीच एक ऐसी घटना हुई जब पाकिस्तान एयर फोर्स के पायलट ने इंडियन एयर फोर्स के एक पायलट की जान बचाई। आपको यकीन नहीं हो रहा न तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़िए।
एक अपवाद हैं कैसर तुफैल
कारगिल वॉर की शुरुआत उस समय हुई जब कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथी पांच जवानों क्षत-विक्षत शव बर्फ में दबे हुए मिले।
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इसी तरह की घटना की पुनरावृत्ति युद्ध के दौरान भी देखने को मिलती अगर पाकिस्तान एयर फोर्स के पायलट कैसर तुफैल ने इंसानियत की मिसाल ने पेश की होती।
कैसर कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ऑपरेशंस के निदेशक थे, वह शायद कारगिल की जंग में किसी अपवाद से कम नहीं हैं।
क्रैश हो गया था मिग
ग्रुप कैप्टन के नचिकेता जो कारगिल की जंग के समय फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे उन्होंने इस घटना का जिक्र मीडिया से बातचीत के दौरान किया था। उनके इंटरव्यू से जुड़ी एक पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है।
ग्रुप कैप्टन नचिकेता जंग के समय मिग-27 उड़ा रहे थे और तभी उनका मिग क्रैश हो गया। नचिकेता सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे लेकिन वह पीओके के पास स्कार्दू में जा पहुंचे थे। उन्हें पाकिस्तान की नॉर्दन लाइट इंफेंट्री के जवानों ने पकड़ लिया।
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पाक जवानों की बदसलूकी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता ने बताया कि जिन जवानों ने उन्हें पकड़ा था, उन्होंने उनके साथ बदसलूकी की और उन्हें जान से मारने की कोशिश भी की क्योंकि वह उस समय उनके लिए एक दुश्मन पायलट थे जिसने उनकी लोकेशन पर फायरिंग की थी।
तुफैल
उनके
रक्षक
के
तौर
पर
सामने
आए
और
उन्होंने
जवानों
को
फ्लाइट
लेफ्टिनेंट
नचिकेता
को
टॉर्चर
करने
से
रोका।
तुफैल
नचिकेता
को
अपने
कमरे
में
ले
गए।
यहां
पर
उन्होंने
नचिकेता
के
साथ
उनकी
पसंद
और
नापसंद
के
बारे
में
काफी
बात
की।
नचिकेता ने बताया कि तुफैल ने उनसे अपने पिता की दिल की बीमारी की बात की थी और अपनी बहनों की शादी का जिक्र भी किया था। सिर्फ इतना ही नहीं तुफैल ने नचिकेता के लिए शाकाहारी स्नैक्स का इंतजाम भी किया था।
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दोनों के बीच हुई काफी देर तक बात
तुफैल ने भी कारगिल की जंग के 10 वर्ष पूरे होने पर भारतीय मीडिया से इसका जिक्र किया था। उन्होंने बताया था कि नचिकेता और उन्होंने फ्लाइंग के बारे में काफी देर तक चर्चा की।
उनका मकसद क्रू रूम में सौहार्द को बनाए रखना था। तुफैल उन दिनों नचिकेता से सीनियर थे और उनकी मानें तो वह इस बात को देखकर काफी हैरान थे कि दोनों के बीच काफी कुछ चीजें एक जैसी थीं।
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आठ दिन बाद लौटे थे नचिकेता
नचिकेता आठ दिन के बाद पाक की कैद से रिहा होकर आए थे और उन्हें एक युद्धबंदी के तौर पर रखा गया था। भारतीय सरकार के प्रयासों की वजह से उनकी भारत वापसी संभव हो सकी थी।
लेकिन अगर तुफैल नहीं होते तो शायद फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता के साथ भी कैप्टन सौरभ कालिया जैसा बर्ताव होता।
आज तुफैल रिटायर्ड हैं तो फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता अब बतौर ग्रुप कैप्टन एयर फोर्स को अपनी सेवाएं दे रहे हैं।