'ग्लोबल' बनने जा रहे दूरदर्शन ने कुछ यूं बदली थी मनोरंजन की परिभाषा
नई दिल्ली। रविवार के दिन का मतलब होता था दूरदर्शन। सुबह सुबह नहा-धोकर टीवी के सामने बैठ जाना और फिर शुरु होता था मनोरंजन का एक ऐसा कारवां, जो आज भी लोगों के दिल में बसा है। रंगोली के गाने, रामायण की भक्ति, जंगल-बुक का तराना और चंद्रकांता का आना। यह सब जैसे हमारे जीवन का हिस्सा थे।
1959 में प्रयोग के तौर पर शुरु हुआ दूरदर्शन 1980-90 के समय में अपने चरम पर था। आज से लगभग 54 वर्ष पहले जब दूरदर्शन हमारे बीच आया था, तो हम सब ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के सामने बैठकर उसके कार्यक्रमों का इंतजार किया करते थे।
लेकिन फिर समय ने ऐसी करवट बदली की आज तक दूरदर्शन लोगों के बीच अपना वह स्थान नहीं बना पाई है। केबल टीवी का आना जैसे दूरदर्शन को उसके दर्शकों से दूर कर गया। लेकिन आज फिर दूरदर्शन ग्लोबल बनने की राह पर है। अब सिर्फ भारत ही नहीं, विदेशों के भी 12 करोड़ में यह अपनी पहुंच बनाएगा।
बहरहाल, देखते हैं दूरदर्शन का वह युग जिसने बदल दी मनोरंजन की परिभाषा ।
कहानियों का संसार
दूरदर्शन बच्चों का एक दिलचस्प साथी था। रविवार सुबह होते ही सारे बच्चे तैयार होकर जंगल बुक में मोगली की कहानी देखने को बैठ जाया करते थे। फिर एक घंटे का डिज्नी शो तो बच्चों का फेवरिट हुआ करता था। विक्रम-बेताल, पोटली बाबा की, डक टेल्स, मालगुडी डेज, चंद्रकांता जैसे कई ही प्रोग्राम बच्चों के लिए परोसे जाते थे।
फैमिली टाइम
दूरदर्शन पर आने वाले सबसे चर्चित प्रोग्राम में से एक था, हम लोग। 1984 में आया यह सीरियल घर घर में छा गया था। इसके बाद बुनियाद, नुक्कड़, शांति, स्वाभिमान, युग जैसे सीरियलों ने भी सभी घरों में जगह बनाई थी। घर के सारे लोग दिलचस्पी के साथ बैठकर ये कार्यक्रम देखा करते थे।
नए-पुराने गाने
जी हां। दूरदर्शन गानों का खजाना हुआ करता था। उस जमाने में जब घर घर में डीवीडी प्लेयरर्स या हमारे मोबाइलों में गाने भरने के विकल्प मौजूद नहीं थे, तब दूरदर्शन ही था जो हर नई फिल्म के गाने हम तक पहुंचाया करता था। सुरभि और चित्रहार जैसे प्रोग्राम का इंतजार हर रविवार, हर घर में होता था।
रामायण एवं महाभारत ने रचा था इतिहास
रामानंद सागर की रामायण और महाभारत भला कैसे कोई सकता है। कहते हैं, जब ये सीरियल टीवी पर आते थे, तो सड़क पर सन्नाटा छा जाता था। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक भक्तिमय माहौल में खो जाया करते थे। यहां तक की रामायण में राम और सीता बने अरूण गोविल और दीपिका की तस्वीर लोग पूजने लगे थे।
हंसने- हंसाने का था जरीया
बच्चों के प्रोग्राम के अलावा भी दूरदर्शन पर कई प्रोग्राम दर्शकों को गुदगुदाने आते थे। देख भाई देख, तू तू-मैं मैं समेत कई कार्यक्रम आते थे, जो अभी दर्शक याद करते हैं। इन कार्यक्रमों की वजह से कई कलाकारों को पहचान भी मिली।
सिर्फ मनोरंजन नहीं, ज्ञान भी
दूरदर्शन सिर्फ मनोरंजन ही नहीं, भरपूर ज्ञानवर्धक भी होता था। समाचार के अलावा उस पर कई कार्यक्रम आते थे जो काफी शिक्षाप्रद होते थे। भारत एक खोज, टीपू सुल्तान जैसे कई कार्यक्रम आते थे, जो लोगों को मनोरंजन के साथ साथ शिक्षा दे जाते थे।
कृषि दर्शन, भारत एक खोज
कृषि दर्शन दूरदर्शन का एक काफी लोकप्रिय कार्यक्रम था, जो देश के किसानों के मद्देनजर बनाया गया था। इसमें खेती से जुड़ी समस्याएं और उसके निवारण पर चर्चा की जाती थी। वहीं, भारत एक खोज जैसे कार्यक्रम, जो कि जवाहर लाल नेहरू की किताब पर बनाई गई थी, वह लोगों को भारत के इतिहास से परिचित कराती थी।
जासूसी कहानियों का जाल
दूरदर्शन जासूसी दुनिया का गढ़ हुआ करता था। करमचंद, कैप्टन व्योम, बच्चों के लिए शक्तिमान जैसे कार्यक्रम काफी मजेदार हुआ करते थे। यहां तक की इसके कैरेक्टरर्स लोगों के जेहन में अभी तक है।