भारत की इन 10 रहस्यों से नहीं उठा अब तक पर्दा
नयी दिल्ली। हम कई बार ऐसी जगहों पर जाते हैं या फिर ऐसी बातें सुनते हैं जिसके बारे में अब से पहले कभी नहीं सुना होता है। वो बातें हमारे लिए रहस्य से भरी पहेली होती है। आज हम आपको ऐसा ही कुछ भारत के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आप पहले से जानते हैं, लेकिन उससे जुड़ी अनोखी बात अब से पहले नहीं सुनी होगी।
लखनऊ में रहस्यमयी सुरंगों से उठेगा पर्दा, जल्द कर सकेंगे सैर
दुनियाभर में बहुत सारी जगहें ऐसी जो रहस्यों से भरी पड़ी हैं, जिस पर से कोई पर्दा उठा ही नहीं पाया। भारत में भी ऐसी बहुत सारे रहस्यमयी जगहें है जो सिर्फ रहस्य बन कर ही रह गई हैं। यहां हम कुछ ऐसे रहस्यों से आपको रुबरु करवाने जा रहे हैं, जिनपर यकीन कर पाना आपके लिए मुश्किल हैं।
एक जुड़वांओं का गांव
केरल के कोडिन्ही गांव में सबसे ज़्यादा जुड़वां लोग बसते हैं। यहां लगभग 2000 परिवार रहते हैं उनमें से 250 जुड़वां हैं।
नौ अज्ञात पुरुष
माना जाता है कि ये शक्तिशाली रहस्य सम्राट अशोक के समय में भारत आया। जब सम्राट अशोक का युद्ध चल रहा था तो इनका काम सारी रहस्यों को महफ़ूज़ रखना था। इनके पास एक ज्ञान की किताब हुआ करती थी लेकिन इसमें से कुछ बातें लीक हो गईं।
जोधपुर धमाका
18 दिसंबर 2012 के दिन में जोधपुर के लोगों को एक धमाका सुनाई दिया। लोगों ने तेज आवाज सुनी। आवाज इतनी तेज कि कान फट जाए, लेकिन आज तक कोई उस आवाज के पीछे का रहस्य पता नहीं कर पाया।
ताज महल का रहस्य
मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेग़म मुमताज के लिए ताज महल बनवाया था, लेकिन दिल्ली के प्रोफेसर पीएन ऑक का कहना है कि दरअसल ताज महल एक शिव मंदिर था जिसका नाम तेजू महोलिया हुआ करता था। अगर ये सच है तो इतिहास की किताबों से बहुत सारी बातें मिट जाएगी।
शापित गांव कुलधारा
कुलधारा गांव की आबादी 500 साल पहले 1500 हुआ करती थी लेकिन एक रात सब लोग अचानक कहीं गायब हो गए। तब के आज तक कोई उस गांव में नहीं बस पाया है।
मैगनेटिक हिल
हिमालय की पहाड़ियों के पास और लद्दाख की वादियों में एक ऐसी जगह है, जहां अगर आपने गाड़ी खड़ी कर दी तो वो अपने आप ही पीछे को खिंची चली आती है। लोग इसे हिमालय का जादू कहकर बुलाते हैं।
भूत बिल्ली
इसका आतंक एक बार पूना के आस-पास छाया था। लोग रात को डरने लग गए थे। कुछ लोगों ने इसे सच मानकर इससे डरना शुरु कर दिया तो कुछ लोगों ने इसे अफवाह मानी। लेकिन रहस्य अभी भी बना हुआ है।
यूएफओ बेस
भारत और चीन के बोर्डर पर ये यूएफओ बेस बन चुका है। दोनों देशों के बीच टकराव की वजह कभी ये क्षेत्र भी रह चुका है लेकिन यूएपओ ने अपना बेस बनाने के लिए इस जगह को चुना। लोगों का कहना है कि यहां कोई आम आदमी नहीं जा सकता।
शांति देवी
शांति देवी का जन्म 1930 को दिल्ली के एक परिवार में हुआ। 4 साल की उम्र में वो अपने माता-पिता को अपने असली मम्मी-पापा मानने से इनकार करने लगी और कहने लगी कि उसका असली नाम लुग्डी है। वो पिछले जन्म में डिलीवरी के दौरान मर गई थी। जब इसकी जांच करवाई तो वो सब सच था।