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Diwali 2019: जानिए क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?

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नई दिल्ली। 'इको फ्रेंडली' दिवाली के लिए इस बार ग्रीन पटाखों की बातें हो रही हैं, क्योंकि इसमे धुंआ कम निकलता है, वातावरण प्रदूषित कम होता है और आवाज ज्यादा तेज नहीं होती है, जिससे आंखों और कानों को नुकसान कम ही होता है, आपको बता दें कि आम पटाखों से अधिक धुंआ निकालते हैं, वहीं उनके धमाके आवाज भी बहुत तेज होती है, जो सरकारी मानक डेसिबल की तुलना में कई ज्यादा होती है।

प्रदूषण मुक्त मनाएं दिवाली

प्रदूषण मुक्त मनाएं दिवाली

चिकित्सकों का कहना है कि पटाखों का शोरगुल और प्रदूषण सभी के लिए नुकसानदायक होता है। अधिक रोशनी और शोरगुल वाले पटाखों के कारण लोगों की आंखों में अंधता और कानों में बहरापन आ सकता है। ऐसे में अगर ऐसे पटाखे हैं तो ये सेहत के लिए कम नुकसानदायक होंगे।

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भारतीय संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान

भारतीय संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान

इसलिए लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए पटाखा निर्माता कंपनियों द्वारा बाजार में ग्रीन पटाखों उतारे जाने की बातें हो रही हैं। दरअसल ग्रीन पटाखों की खोज भारतीय संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने की, इन पटाखों की खासियत ये है कि ये धूल को सोख सकते हैं, साथ ही इन पटाखों से होने वाला उत्सर्जन लेवल भी बेहद कम है, जिससे इनकी आवाज भी कान फोड़ूं नहीं है, ये आंखों को सकून देते हैं क्योंकि इनसे निकलने वाला धुआं हानिकारक नहीं है और ये जलने पर 50 फीसदी तक कम प्रदूषण करते हैं।

वॉटर मॉलेक्यूल्स यानी पानी के अणु

वॉटर मॉलेक्यूल्स यानी पानी के अणु

इनकी खास बात ये भी है कि इनमें वॉटर मॉलेक्यूल्स यानी पानी के अणु उत्पन्न हो सकते हैं जिससे धूल और खतरनाक तत्वों को कम करने में मदद मिलेगी।

ये पटाखे तीन तरह के हैं

  • सेफ वॉटर रिलीजर (SWAS)
  • सेफ मिनिमल एल्यूमिनियम (SAFAL)
  • सेफ थर्माइट क्रैकर (STAR)

ग्रीन पटाखों से पलूशन 35% कम

CSIR का दावा है कि ग्रीन पटाखों के जरिए खतरनाक नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड के साथ ही छोटे-छोटे कणों के उत्सर्जन में भी 30 से 35 प्रतिशत की कमी लायी जा सकेगी।

पेट्रोलियम ऐंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन

CSIR द्वारा विकसित किए गए पटाखों के इन फॉर्म्युलों को पेट्रोलियम ऐंड एक्सप्लोसिव्स सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन PESO के पास भेजा जा चुका है और इन्हें एक बार PESO इसे अप्रूव कर दे उसके बाद इन पटाखों का निर्माण तेजी से किया जा सकेगा ताकि दिवाली के मौके पर पटाखों की डिमांड को पूरा किया जा सके।

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English summary
Green crackers, the less-polluting, less noisy crackers allowed by the Supreme Court this Diwali has finally been developed by scientists.
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