जानिए जनधन योजना गरीबी मिटाएगी या बढ़ाएगी?
प्रधानमंत्री की जन धन योजना के तहत करोड़ों बैंक खाते खोलने का दावा किया जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रैलियों में यह कहते नहीं थकते कि हर गरीब तबके का बैंक में बचत खाता होगा। जिस देश में संतुलित भोजन खाना करोड़ों लोगों के लिए सपने जैसा लगता हो उस देश के गरीब तबका बचत खातें में क्या भूखा रहकर रकम जमा करेगा। दरअसल, जनधन योजना में कई खामियां निकलकर सामने आ रही हैं जो शायद गरीबी को बेशक कम न करे लेकिन उसको थोड़ा और बढ़ाने का काम कर सकती है।
28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े ही जोर शोर के साथ जनधन योजना की थी। कुछ ही दिनों में एक करोड़ से ज्यादा खाते खोल दिए गए। दस अक्टूबर तक सात करोड़ से ज्यादा खाते खोले जा चुके हैं। यही धुआंधार रफ्तार जारी रही तो हो सकता है कि लक्ष्य भी जल्द ही पूरा हो जाए। लेकिन बिजनेस अखबारों ने सूचना के अधिकार के तहत खुलासा किया है वह जनधन योजना की अंदरूनी गांठ को खोल रहा है। आंकड़ों की माने तो अभी तक खोले सात करोड़ खातों में से 75 फीसदी खातों में कोई पैसा नहीं है। यानी बैलेंस शून्य है। 75 फीसदी खातों को आंकड़ों में तब्दली करें तो करीब 5.4 करोड़ खातों में कोई पैसा ही नहीं है।
25 फीसदी खातों में रकम न्यूनतम
इस रिपोर्ट की माने तो जनधन योजना के तहत कुल 25 फीसदी खाते ऐसे हैं जिनमें करीब 5600 करोड़ तक की राशि ही बताई जा रही है। नरेंद्र मोदी जनधन योजना के लक्ष्य को जनवरी तक खत्म करना चाहते हैं।
निर्धन परिवारों को मिलेगा दंड?
सबसे बड़ा बोझ तो खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डालने जा रहा है। आरबीआई ने हाल ही बैंकों को यह निर्देश दिए हैं कि खाते में न्यूनतम बैलेंस या बैलेंस है ही नहीं तो ग्राहक को इस बारे में जल्द से जल्द सूचित किया जाए। आरबीआई के निर्देशों के मुताबिक बैंक ऐसे ग्राहकों को सूचित करने के बाद पैसा जमा करने का अनुरोध करेंगे लेकिन बाद में खाते में पैसे और लेनदेने को देखकर जुर्माना लगाएंगे।
तो डेबिट कार्ड का क्या होगा फायदा
डेबिट कार्ड कैश अमाउंट हर बार पर्स में रखकर नहीं चलना पड़ता है। जरूरत पढ़ने पर शॉपिंग भी की जा सकती है और एटीएम से कैश निकाला जा सकता है। सहूलियत बहुत सुविधाजनक होती है। जनधन योजना के तहत खुले खातों के साथ भी डेबिट कार्ड दिए जाने की सुविधा दी जा रही है। ताज्जुब इस बात का है कि जब निर्धन परिवारों के खाते में रकम ही नहीं होगी तो वह डेबिट कार्ड से क्या निकालेंगे। जानकारी के मुताबिक करीब 39.8 फीसदी लोगों को ही रूपे कार्ड जारी किया गया है।
कमजोर है जन धन योजना
इन खामियों के बाद जन धन योजना की कड़ी आलोचना शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि जन धन योजना को बिना किसी पूर्व तैयारी और अध्ययन के शुरू किया गया। इसके फायदे कम और नुकसान ज्यादा नजर आ रहे हैं। जबकि खाते खोलना प्राथमिकता नहीं बल्कि रोजगार औऱ शिक्षा का स्तर बढ़ाने की प्राथमिकता होना एक अच्छा विकल्प हो सकता था।