इको-फ्रेंडली सैनेटरी नैपकीन का इस्तेमाल करती हैं दीया मिर्जा, क्या होते हैं ये और क्या हैं फायदे?
बॉलीवुड अभिनेत्री दीया मिर्जा ने सैनेटरी नैपकीन के बारे में ऐसी बात कही जो काफी कम महिलाएं जानती हैं। दीया ने हाल ही में कहा कि वो इको-फ्रेंडली सैनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं। भारत में जहां सैनेटरी नैपकीन ही एक लक्जरी हो, ऐसे में इको-फ्रेंडली सैनेटरी नैपकीन तो सोच से भी परे है।
नई दिल्ली। भारत में इन दिनों सैनेटरी नैपकीन पर काफी बहस चल रही है। इसपर लगने वाले जीएसटी को लेकर सरकार को चौतरफा घेरा जा रहा है। इसी बीच बॉलीवुड अभिनेत्री दीया मिर्जा ने सैनेटरी नैपकीन के बारे में ऐसी बात कही जो काफी कम महिलाएं जानती हैं। दीया ने हाल ही में कहा कि वो इको-फ्रेंडली सैनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं। भारत में जहां सैनेटरी नैपकीन ही एक लक्जरी हो, ऐसे में इको-फ्रेंडली सैनेटरी नैपकीन तो सोच से भी परे है।
सैनेटरी नैपकीन्स पर दीया मिर्जा ने बताया ये सच
दीया मिर्जा ने कहा कि वो आम सैनेटरी नैपकीन की बजाय इको-फ्रेंडली सैनटरी नैपकीन का इस्तेमाल करना पसंद करती हैं। उन्होंने कहा, 'सैनेटरी नैपकीन और डायपर पर्यावरण को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए मैं इसका इस्तेमाल नहीं करती। मुझे इसका ऐड करने के लिए भी कोई ऑफर आता है तो मैं मना कर देती हूं।' दीया ने बताया कि वो इको-फ्रेंडली नैपकीन्स का इस्तेमाल करती हैं जो आसानी से बायोडीग्रेड हो जाते हैं।
500 साल तक नष्ट नहीं होते हैं पैड्स
आमतौर पर महिलाएं जिन सैनेटरी नैपकीन्स का इस्तेमाल करती हैं, वो उनके लिए तो आराम लाते हैं, लेकिन इससे प्रकृति को काफी नुकसान पहुंचता है। नैपकीन्स को इस्तेमाल के बाद जब फेंका जाता है तो वो तुरंत नष्ट नहीं होता। ये जानकर आपको यकीन नहीं होगा कि नैपकीन्स को खत्म होने में 500 साल लग जाते हैं। ऐसे में वो नदी और जंगलों में पहुंच कर जानवरों को नुकसान पहुंचाते हैं।
पर्यावरण में घुलने में कम वक्त लेते हैं इको-फ्रेंडली पैड्स
इको-फ्रेंडली सैनेटरी नैपकीन्स ऐसे पैड्स हैं जो बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए आपकी जरूरतों को पूरा करते हैं। इसे बनाने में ऐसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो डिस्पोज हो सकें। इन्हें बनाने में पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों, जैसे की केले का फाइबर, रुई और कपड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। घटिया चीजों के मुकाबले में ये पर्यावरण में घुलने के लिए बहुत कम समय लेते हैं और खाद के तौर पर फिर से उपयोग किए जा सकते हैं।
इको-फ्रेंडली पैड्स के हैं कई फायदे
इको-फ्रेंडली पैड्स का इस्तेमाल करने से महिलाएं कई तरह की बीमारियों से बच सकती हैं। मार्केट में उपलब्ध आम पैड्स में सेल्यूलोज होता है जिससे सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा होता है। सर्वाइकल कैंसर की बीमारी महिलाओं में तेजी से बढ़ रही है और ये कैंसर से मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। पैड्स में ऐसे केमिकल्स भी होते हैं जिससे इंफेक्शन होने का खतरा होता है। इको-फ्रेंडली पैड्स में ऐसी कोई बीमारी होने का खतरा नहीं रहता।
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