अब तो 'राख' हो गया होगा डौंडिया खेड़ा का महाखजाना!
संत शोभन सरकार के सपने को सच मानकर केन्द्र सरकार ने आनन-फानन में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) को किले की खुदाई कराने का निर्देश दिया था। एएसआई 18 अक्टूबर से इस कार्य में जुटी भी। लेकिन करीब दो लाख रुपये खर्च करने के बाद एएसआई के हाथ टूटी चूड़ियां, कांच के टुकड़े और मिट्टी के बर्तनों के सिवाय कुछ नहीं आया। खुदाई के दौरान ही संत शोभन सरकार के शिष्य स्वामी ओमजी महराज ने भविष्यवाणी की थी कि धनतेरस के पूर्व खुदाई पूरी कर सोना न निकाल पाए तो वह 'राख' हो जाएगा। तो फिर अब ओमजी या संत के अन्य नजदीकी खुद खुदाई कराने का प्रयास क्यों कर रहे हैं? यह एक बड़ा सवाल फिर लोगों के मन में उठने लगा है।
पिछले गुरुवार को ओमजी का अचानक जेसीबी मशीन और तमाम ग्रामीणों के साथ किला परिसर में पहुंचना और खुदाई की जिद करने से तनाव की स्थिति बन गई थी, लिहाजा प्रशासन को फिर पुलिसबल तैनात करना पड़ा। संत शोभन सरकार के एक नजदीकी राजेन्द्र तिवारी ने बताया, "संत शोभन की ओर से केन्द्र व राज्य सरकार को पत्राचार कर खुद खुदाई कराने की इजाजत मांगी गई है। इजाजत मिली तो सोना निकाल कर देश को सौंपा जाएगा।"
हालांकि, तिवारी इसका जवाब नहीं दे पाए कि शोभन सरकार ने धनतेरस के पूर्व सोना न निकाल पाने पर राख हो जाने की भविष्यवाणी क्यों की थी। उल्टे वह कहते हैं कि संत की शर्त अस्वीकार करने पर ही एएसआई को सोना नहीं मिला।
वहीं, एएसआई के अधिकारी पी.के. मिश्रा बताते हैं कि किले की खुदाई में सरकार करीब दो लाख रुपये खर्च कर चुकी है और उसे कोई खास सफलता नहीं मिली। उप-जिलाधिकारी विजयशंकर दुबे बताते हैं कि पिछले गुरुवार को ओमजी द्वारा जेसीबी मशीन से खुद खुदाई का प्रयास करने से तनाव की स्थिति बन गई थी। जिससे किला परिसर में दोबारा प्रांतीय सशस्त्र बल तैनात करना पड़ा है।
सच्चाई यह नहीं है कि शोभन सरकार की शर्त न मानने या धनतेरस से पूर्व न निकाल पाने पर सोना नहीं मिला। बल्कि सच यह है कि शोभन सरकार को उन्नाव और कानपुर इलाके में ग्रामीण आंख मूंदकर 'भगवान' का दर्जा देते थे, चूंकि अब पूरे देश में उनकी किरकिरी हो चुकी है तो उनके अनुयायी उनकी प्रतिष्ठा कायम रखने की कोशिश कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।