‘स्वच्छता अभियान’ ने बदला है देश का स्वभाव
स्वच्छता एप का भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं और शिकायतें दर्ज कराकर भारत को स्वच्छ बनाने के मिशन में योगदान दे रहे हैं।
देश की सोच बदली है, व्यवहार बदला है और इसका श्रेय जाता है स्वच्छता भारत अभियान को, जिसका आग़ाज़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी जयंती के मौके पर 2014 में किया था। यह स्वच्छ भारत की सफलता ही है कि भारत ने यात्रा और पर्यटन इंडेक्स में 12 स्थान की छलांग लगायी है। 2013 में भारत का स्थान इस इंडेक्स में 65वां था, जो 2015 में यानी स्वच्छता अभियान के बाद 52वां हो गया और अब यह सुधर कर 40वां हो चुका है।
जनआंदोलन बना स्वच्छता अभियान
'स्वच्छता अभियान' जनआंदोलन बन चुका है। यह आचरण में बदलाव का मिशन बन चुका है। समाज के हर वर्ग के लोगों और संस्थाओं ने स्वच्छता अभियान में अपनी भागीदारी दिखलायी है। स्वच्छता अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर 2019 में 'स्वच्छ भारत' के रूप में श्रद्धांजलि देने का आग्रह देशवासियों से किया था। देश इस मकसद को हासिल करने के लिए जी-जान से जुटा है।
बच्चे-बूढ़े, अफसर, जवान सभी चला रहे हैं स्वच्छता अभियान
सरकारी अफसर हों या सीमा पर तैनात जवान, फ़िल्म जगत की हस्तियां हों या नामचीन खिलाड़ी, उद्योगपति हों या आध्यात्मिक गुरु, सामाजिक संगठन हों या राजनीतिक दल- हर किसी ने इस अभियान से जुड़कर इसे आंदोलन का रूप दिया। इसी का नतीजा है कि स्वच्छता के पैमाने पर भारत बदलता हुआ दिख रहा है। स्वच्छता अभियान का दायरा 2014 में जहां 42 प्रतिशत आंका गया था, वही अब यह 62 फीसदी हो चुका है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 बताता है कि अभियान का असर शहरों में भी स्वच्छता की दृष्टि से सकारात्मक दिख रहा है।
स्वच्छता एप से भी आ रहा है बदलाव
स्वच्छता एप का भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं और शिकायतें दर्ज कराकर भारत को स्वच्छ बनाने के मिशन में योगदान दे रहे हैं। लॉन्च होने दस महीने के भीतर ही 10 लाख शिकायतें स्वच्छता एप पर आईं। इनमें प्लास्टिंग की री-साइकिलंग, कचरा वाहनों के आने या मृत जानवरों को हटाने में देरी जैसी शिकायतें रहीं। इनमें से 85 फीसदी शिकायतों का निपटारा भी कर लिया गया।
स्वच्छता एप के इस्तेमाल में मध्यप्रदेश के ग्वालियर, जबलपुर और रतलाम आगे रहे जहां शिकायतों को तेजी से दूर किया गया। इस एप से 1784 नागरिक निकाय जुड़े हैं। यह एप स्वच्छता को लेकर शहरों को रैंकिंग भी देती है जिसका आधार रैंकिंग एजेंसियां, नागरिकों की प्रतिक्रियाएं और लोगों का इससे जुड़ाव जैसे फैक्टर होते हैं।
रेलवे ने भी अपनायी स्वच्छता
रेलवे ने भी स्वच्छता को अपनाया है। रेलवे में खान-पान से लेकर पीने के पानी तक को स्वच्छ और सेहत के लिए फायदेमंद बनाने की पहल की है। आईआरसीटीसी इसके लिए अलग अभियान चला रहा है। स्टेशनों पर अब सफाई की तस्वीर भी बदल गयी है। नागरिकों में भी इतनी जागरुकता आयी है कि वे गंदगी रहने पर उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल करते हैं, अधिकारियों तक पहुंचाते हैं और उस पर एक्शन भी होता है। इसके अलावा अब लोग खुद भी डस्टबिन का इस्तेमाल करने लगे हैं।
स्वच्छता को आदत बनाने की सलाह पर हो रहा है अमल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता को आदत बनाने की सलाह लोगों को दी थी। हम गंदगी करें ही नहीं कि सफाई की जरूरत हो। बच्चों को अगर घर में ही यह संस्कार दिए जाएं कि सड़क पर गंदगी नहीं करनी है तो यह उपाय सबसे अधिक कारगर है। समाज ने भी गंदगी और उससे होने वाली बीमारियों का अभिशाप झेला है। लिहाज़ा अब बदलाव दिख रहा है। स्वच्छता के प्रति लोगों में एक जागरुकता आयी है। गांवों से लेकर शहर तक सफाई की जरूरत को लोगों ने स्वीकार कर लिया है।