Children's Day 2019: इन संदेशों के जरिए दीजिए 'बाल दिवस' की शुभकामनाएं
नई दिल्ली। 14 नवंबर को आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिवस हैं, पूरे देश में यह दिन 'बाल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था, जवाहरलाल नेहरू कहते थे कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं इसलिए उन्हें प्यार और शिक्षा देना बेहद जरूरी है ताकि वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें, इस दिन स्कूलों में भी कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, जिसमें बच्चे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, वो बच्चों के प्रिय चाचा थे इसलिए उनका जन्मदिन बच्चों को ही समर्पित है।
ऐसे में आप इस दिन को खास बनाने के लिए इन शानदार मैसेज के जरिए बच्चों को बाल दिवस की शुभकामाएं दें सकते हैं...
दुनिया का सबसे हसीन पल... बचपन
दुनिया
का
सबसे
सच्चा
समय,दुनिया
का
सबसे
अच्छा
दिन
दुनिया
का
सबसे
हसीन
पल,
सिर्फ
बचपन
में
ही
मिलता
है।
बाल
दिवस
की
शुभकामनाएं...।
हम हैं आधार
देश
के
प्रगति
के
हम
हैं
आधार
हम
करेंगे
चाचा
नेहरू
के
सपने
साकार
बाल
दिवस
की
शुभकामनाएं।
चाहत होती चांद को पाने की थी
एक
बचपन
का
जमाना
था,होता
जब
खुशियों
का
खजाना
था
चाहत
होती
चांद
को
पाने
की
थी,
पर
दिल
तो
तितली
का
दिवाना
था
बाल
दिवस
की
शुभकामनाएं।
यह पढ़ें: आखिर क्यों 14 नवंबर को मनाया जाता है बाल दिवस?
हैप्पी बाल दिवस
रोने
की
वजह
ना
थी,
ना
कोई
हंसने
का
बहाना
था
आखिर
क्यों
हो
गए
हम
इतने
बड़े
,इससे
अच्छा
तो
वो
बचपन
हमाना
था।
बाल
दिवस
की
शुभकामनाएं।
बचपन का वो हर मौसम सुहाना था
मां
की
कहानी
थी,
परियों
का
फ़साना
था,बारिश
में
कागज़
की
नाव
थी
बचपन
का
वो
हर
मौसम
सुहाना
था
बाल
दिवस
की
शुभ
कामनाएं।
हमें उन्हें उसी रूप में स्वीकारना
हम
अपनी
इच्छानुसार,
अपने
बच्चों
को
नहीं
बना
सकते
हमें
उन्हें
उसी
रूप
में
स्वीकारना
और
प्रेम
करना
होगा
जिस
रूप
में
भगवान
ने
उन्हें
हमें
दिया
है-जवाहर
लाल
नेहरू
हैप्पी
बाल
दिवस।
फिर से बच्चा बनना है...
बचपन
में
सबसे
अधिक
पूछा
गया
एक
सवाल:
बड़े
होकर
क्या
बनना
है?
अब
जाकर
जवाब
मिला
कि
फिर
से
बच्चा
बनना
है.
बाल
दिवस
की
शुभ
कामनाएं...।
चाहत होती चांद को पाने की थी...
एक
बचपन
का
जमाना
था,होता
जब
खुशियों
का
जमाना
था
चाहत
होती
चांद
को
पाने
की
थी.
पर
दिल
तो
तितली
का
दीवाना
था
बाल
दिवस
की
शुभ
कामनाएं...।
ना कोई शाम का ठिकाना था....
खबर
ना
होती
कुछ
सुबह
की,ना
कोई
शाम
का
ठिकाना
था
थक
हार
कर
आना
स्कूल
से
पर
खेलने
तो
जरूर
जाना
था।
बाल
दिवस
की
शुभकामनाएं...।
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