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चिकन-मटन खाते हैं....? तो "एंटीमॉर्टम नियम" भी जान लीजिये

By Ajay Mohan
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बेंगलुरु। अगर आप चिकन या मटन खाने के शौकीन हैं और घर में बड़े चाव से अलग-अलग डिश पकाते हैं, तो कुछ जानिए न जानिए, लेकिन एंटी-मॉर्टम लॉ जरूर जान लीजिये। क्योंकि इसमें आपकी ही भलाई है।

Chicken

क्या है एंटीमॉर्टम लॉ

"मॉर्टम" शब्द से ही आप समझ गये होंगे कि इसका तात्पर्य जीव की मृत्यु के बाद उसे काटने से सम्बंधित है। असल में एंटीमॉर्टम नियम भी इसी से जुड़ा एक नियम है, जिसके अंतर्गत अगर इस नियम के विरुद्ध जाकर मुर्गे या बकरे को काट-कर बेचा जाता है, तो वह गैरकानूनी है।

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इस नियम के तहत मुर्गे, बकरे या किसी अन्य जानवर को बूचड़खाने में ले जाने से पहले पशु का चिकित्सीय परीक्षण जरूरी होता है। नियम के तहत नगर पालिका का अधिकारी उस पशु को पशु चिकित्सक के पास स्वास्थ्य परीक्षण के लिये ले जाता है। वहां पशु का स्वास्थ्य प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही उसे काटा जा सकता है।

अगर डॉक्टर पशु का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी नहीं करता है, या फिर प्रमाण पत्र में यह लिख देता है कि पशु अस्वस्थ्य है, तो उस पशु का न तो वध किया जा सकता है और न ही उसका मांस बेचा जा सकता है।

क्या कहता है कानून

कानून के जानकारों की माने तो नगर निगम अधिनियम 1956 के सेक्शन 255 एवं 257 तथा खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1955 के रूल 50 में विहित प्रावधान के तहत विधिवत अनुज्ञप्ति हासिल किये बिना उक्त चीजों का निगम सीमा में विक्रय नहीं किया जा सकता है। यह दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है।

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क्या निकला आरटीआई में

मध्य प्रदेश के दमोह में रहने वाले डा. लक्ष्मी नारायण वैश्णव के अनुसार जब सूचना का अध‍िकार के तहत इस संबंध में नगर निगम से जानकारी मांगी गई, तो जवाब मिला कि जिले में एक भी बूचड़खाना सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं है।

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आरटीआई के अनुसार बात अगर पशुओं के चिकित्सीय परीक्षण की करें, तो आज तक एक भी व्यक्त‍ि भेड़, बकरे, आदि को काटने से पहले उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिये नगर निगम नहीं लाया।

मांसाहारी लोगों का जीवन खतरे में

देश के लगभग सभी शहरों में क्या हो रहा है, किसी से छिपा नहीं है। देखा जाये तो खुले आम मांसाहारी व्यक्तियों का जीवन खतरे में डाला जा रहा है, दूषित, संक्रामक बीमारियों से ग्रसित जानवरों का मांस धडल्ले से विक्रय हो रहा है। जिले के अनेक होटलों में भी यहीं मांस परोसा जा रहा है।

Chicken

बिना चिकित्सीय परीक्षण के पशु को काटकर उसका मांस बेचा जाना, केंद्र व राज्य सरकारों की घोर लापरवाही का नतीजा है। अफसोस तो इस बात का है कि देश के नगर निगमों में शायद एक या दो ही ऐसे होंगे जिनके पास इसकी जानकारी होगी कि कितने बूचड़खाने लाइसेंस प्राप्त हैं, और कितने नहीं।

कितनों को लायसेंस दिया गया है इस प्रकार की जानकारी न तो नपा के पास है और न ही जिला प्रशासन के पास? परन्तु खुलेआम नियम कानून की धज्जियां उडाई जा रही है?

English summary
Know must know what is Anti-Mortem Law if you are non-vegetarian and very much fond of eating chicken and mutton.
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