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Bhopal Gas Tragedy: 34 साल बाद भी हरे हैं जख्‍म, नहीं मिले कुछ सवालों के जवाब

3 दिसंबर 1984, याद करते ही रूह कांप जाती है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं और आंखों के सामने घूमता है मौत का मंजर। एक लापरवाही की भेंट चढ़े बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सहित हजारों लोग की मौत आज भी सवाल करती है

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नई दिल्ली। 3 दिसंबर 1984 को याद करते ही रूह कांप जाती है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं और आंखों के सामने घूमता है मौत का मंजर। एक लापरवाही की भेंट चढ़े बच्चे, बूढ़े, महिलाएं सहित हजारों लोग की मौत आज भी सवाल करती है कि आखिर हमारी मौत का जिम्मेदार कौन है, हमने किसी का क्या बिगाड़ा था? आज इस घटना के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन भी हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके जाने के बाद भी इस त्रासदी के शिकार लोगों के परिवार का दर्द ना तो कम हुआ है और ना ही ऐसी उम्मीदें हैं कि आगे भी कम होगा।

भारत के इतिहास का काला अध्याय

भोपाल शहर में 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कम्पनी के कारखाने से एक हानिकारक गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगों की जान गई थी और काफी लोग अंधेपन के शिकार हुए थे।

Bhopal gas tragedy: 32 years later, Important facts about it

ये भयानक घटना तब घटी जब आधी रात को पूरा भोपाल चैन की नींद सो रहा था लेकिन तभी अचानक यूनियन कार्बाइड नामक कम्पनी के कारखाने में टैंक नंबर 610 में एक विस्‍फोट हुआ, जिससे रिसने वाली जहरीली गैस ने लगभग 15,000 लोगों को मौत की नींद सुला दिया लेकिन प्रदर्शनकारी कहते हैं कि इस घटना में 25,000 लोग मारे गए थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यूनियन कार्बाइड नामक कम्पनी के टैंक नंबर 610 का तापमान मापने वाला मीटर खराब हो गया था, जिससे निकलने वाली ज़हरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस में पानी मिल गया जिसके कारण टैंक में दबाव पैदा हो गया और वो फट गया जिसने मौत की ऐसी तबाही मचाई जिसे लोग कई पुश्तों तक नहीं भूल पाएंगे। इस टैंक से निकलने वाली 42 टन मिथाइल आइसोसाईंनेट को लोगों को मौत देने में केवल तीन मिनट ही लगे थे।

Bhopal gas tragedy: 32 years later, Important facts about it

3 दिसंबर की सुबह पौ फटने तक हमीदिया चिकित्सालय मूर्दाघर बन चुका था। चारों तरफ लाशे ही लाशे थीं, इस त्रासदी में जो बच गए थे वो भी अपने आपको अभागा ही मान रहे थे क्‍योंकि, उनके पास गले लगकर रोने वाला भी कोई नहीं बचा था। इस भयंकर कांड में हजारों लोगों की जान लेने के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड ने शुरू से ही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया। लोगों के हो -हल्ला मचाने पर इस दुख भरे दास्तान की फाइल खुली तो ..लेकिन इसेे खुलने में लग गये पूरे 25 साल।

जख्मों पर पड़ा नमक

साल 2010 में न्यायालय के फैसले ने इस त्रासदी में शिकार लोगों के परिवार को और दुखी कर दिया। क्योंकि कोर्ट ने सात दोषियों को दो साल की सजा और एक लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया लेकिन सजा सुनाने के कुछ ही देर बाद सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस हादसे के मुख्य आरोपी यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वारेन एंडरसन हादसे के चार दिन बाद भोपाल पहुंचे थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन जमानत मिलने के बाद वह स्वदेश चले गए और फिर कभी मामले की सुनवाई के लिए वापस नहीं आए। भारतीय अधिकारियों ने उनके प्रत्यर्पण के लिए कई बार अनुरोध किया, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली।

Bhopal gas tragedy: 32 years later, Important facts about it

हादसे को लेकर यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वारेन एंडरसन के खिलाफ हर किसी में जबर्दस्त गुस्सा था। सभी यही मानते थे कि वही हजारों लोगों के कातिल हैंं।डॉन कर्जमैन की लिखी किताब 'किलिंग विंड' के मुताबिक एंडरसन को भगाने में सरकारी तंत्र का हाथ था। किताब के मुताबिक एंडरसन के स्पेशल विमान के जरिए पहले भोपाल से दिल्ली लाया गया था और फिर कुछ जरूरी कागजात पर साइन कराकर उन्हें स्वदेश भेज दिया गया था। जहां से वो कभी वापस नहीं आए।

हालांकि आज एंडरसन दुनिया में नहीं है और कहते हैं कि मरने वाले से शिकवा नहीं किया जाता है लेकिन क्या भोपाल गैस त्रासदी के शिकार लोग उन्हें कभी दिल से माफ कर पाएंगे।

Bhopal gas tragedy: 32 years later, Important facts about it

शायद उनके जज्बातों को 'मस्तराम आवारा' की ये लाईनें चरितार्थ कर सकें....

मयखाने में वह हर जाम के साथ
अपने गम को भुला आते हैं
पर उतर जाता है जब नशा
तो फिर गम और ज्यादा सताते हैं
महफिलों में मय बंटती है अमृत की तरह
पीकर लोग बहक जाते हैं
जाम की कुछ बूंदों में ही
भद्र लोगों के नकाब उतर जाते हैं....

क्या आप हमारी बात से सहमत हैं अपने विचार से हमें जरूर अवगत करायें, अपनी प्रतिक्रिया नीचे लिखे कमेंट बॉक्स में दर्ज करायें..हमें इंतजार है आपकी राय जानने का।

Comments
English summary
Bhopal Gas Tragedy - As many as 32 years after the world’s worst industrial disaster in Bhopal, the affected are yet to see any comprehensive assessment of contamination of the groundwater around the disaster site or efforts to clean it up
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