Bal Gangadhar Tilak: जानिए स्वराज मेरा.... कहने वाले बाल गंगाधर 'तिलक' के बारे में खास बातें
नई दिल्ली। 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' इस कथन के साथ ही महान् स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने सबसे पहले ब्रिटिश राज में पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी। 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे तिलक ने अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी और भारतीयों के दिलों में आजादी की लौ जलाई। बाल गंगाधर तिलक एक समाज सुधारक थे इसलिए उनके अनुयायियों ने उन्हें 'लोकमान्य' की उपाधि दी जिसका अर्थ होता है 'लोगों द्वारा प्रतिष्ठित'।
बाल विवाह के सख्त खिलाफ थे 'तिलक'
हिंदू राष्ट्रवाद के पिता कहे जाने वाले तिलक ने हिंदी को पूरे राष्ट्र की भाषा बनाने पर जोर दिया था। तिलक ने समाज सुधारक के रूप में भी कई कदम उठाए थे, वो बाल विवाह के सख्त खिलाफ थे।
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चलिए जन्मदिन के मौके पर ऐसे महान व्यक्ति के बारे में जानते हैं खास बातें.....
गंगाधर ने दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए थे....
गंगाधर तिलक ने 'मराठा दर्पण' और 'मराठी केसरी' नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए थे जो जनता में बहुत लोकप्रिय हुए थे, इन पत्रों में छपने वाले लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल भेजा गया था क्योंकि ये अंग्रेजों के खिलाफ लिखा करते थे।
लाल-बाल-पाल
तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन जल्द ही वे कांग्रेस के नरमपंथी रवैये के विरुद्ध बोलने लगे। 1907 में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गयी। गरम दल में तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे। इन तीनों को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाने लगा।
400 पन्नों की किताब 'गीता रहस्य' लिखी थी
1908 में तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया। जेल में रहने के दौरान भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन को लेकर गंगाधर ने 400 पन्नों की किताब 'गीता रहस्य' भी लिखी थी, जेल से छूटकर वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गये और 1916 में एनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की थी।
आधुनिक भारत का निर्माता....तिलक
1920 में मुबंई में उनका देहांत हो गया, मरणोपरान्त श्रद्धांजलि देते हुए गांधी जी ने उन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता' और पं. जवाहरलाल नेहरू ने 'भारतीय क्रान्ति का जनक' बतलाया।
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