August Kranti: बापू का वो आंदोलन जिसने अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया था
नई दिल्ली। 'अगस्त क्रांति दिवस' की शुरुआत 9 अगस्त 1942 को हुई थी। मुंबई के जिस पार्क से यह आंदोलन शुरू हुआ, उसे 'अगस्त क्रांति मैदान' नाम से जाना जाता है। जब द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावजूद अंग्रेज भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' के रूप में आजादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया जिससे अंग्रेजी शासन में दहशत फैल गई थी।
चलिए विस्तार से जानते हैं इस आंदोलन के बारे में
8 अगस्त को 'भारत छोड़ो आंदोलन' का प्रस्ताव पारित हुआ था
देश से अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए 4 जुलाई 1942 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि यदि अंग्रेज भारत नहीं छोड़ते हैं तो उनके खिलाफ व्यापक स्तर पर नागरिक अवज्ञा आंदोलन चलाया जाए। मुस्लिम लीग, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और हिन्दू महासभा ने इस आह्वान का विरोध किया था लेकिन इसके बावजूद 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई सत्र में 'भारत छोड़ो आंदोलन' का प्रस्ताव पारित किया गया था।
अरूणा आसफ अली ने फहराया तिरंगा
अंग्रेजों को इस बात का आभास पहले से ही था इसलिए उसने एक दिन पहले ही महात्मा गांधी को पुणे के आगा खान पैलेस में कैद कर लिया और इसके अलावा कांग्रेस कार्यकारी समिति के सभी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर अहमदनगर किले में बंद कर दिया गया लेकिन युवा नेत्री अरुणा आसफ अली को वो नहीं पकड़ पाए और अरूणा आसफ अली ने नौ अगस्त 1942 को मुंबई के गवालिया टैंक मैदान में तिरंगा फहराकर गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कर दी और इतिहास के पन्नों में अपना नाम सुनहरे रंगों से अंकित करा लिया।
भारतीय कई जगह उग्र भी हो गए
हालांकि बापू की ओर से ये आंदोलन अंहिसक था लेकिन अंग्रेजों को भगाने के जोश में भारतीय कई जगह उग्र भी हो गए थे, जिसके कारण देश के कई स्थानों पर बम विस्फोट हुए, सरकारी इमारतों को जला दिया गया, बिजली काट दी गई, कई जगहों पर हड़ताल हुई।
एक लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया
इतिहासकारों ने लिखा है कि भारतीयों के इस उग्र रूप से अंग्रेज काफी बौखला गए थे, जिसके चलते उन्होंने कई जगहों पर निर्दोंषों को गोली मारी तो पूरे देश से करीब एक लाख से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बावजूद आंदोलन पूरे जोश के साथ चलता रहा, इसी दौरान महात्मा गांधी 21 दिन तक भूख हड़ताल की , जिसकी वजह से उन की हालत जेल में बिगड़ गई, 1944 में गांधीजी का स्वास्थ्य बेहद बिगड़ जाने पर अंग्रेजों ने उन्हें रिहा कर दिया। हालांकि इस क्रांति ने अंग्रेजी हूकूमूत को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया था।
'अगस्त क्रांति'
सन् 1857 के पश्चात देश की आजादी के लिए चलाए जाने वाले सभी आंदोलनों में सन् 1942 का 'भारत छोड़ो आंदेालन' सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन साबित हुआ। जिसके कारण भारत में ब्रिटिश राज की नींव पूरी तरह से हिल गई थी। आंदोलन का ऐलान करते वक्त गांधी जी ने कहा था मैंने कांग्रेस को बाजी पर लगा दिया। यह जो लड़ाई छिड़ रही है वह एक सामूहिक लड़ाई है। सन् 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन भारत के इतिहास में 'अगस्त क्रांति' के नाम से भी जाना जाता रहा।