444 साल बाद इलाहाबाद फिर बना प्रयागराज, जानिए क्यों और किसने बदला था नाम?
इलाहाबाद। करीब 444 सालों पहले संगम नगरी इलाहाबाद का नाम प्रयागराज था, आज एक बार फिर से गंगा-यमुना-सरस्वती की पावन नगरी का नाम प्रयागराज हो गया है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के एक प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी, आपको बता दें कि मुगलों ने अपने शासन के दौरान इसका नाम बदलकर इलाहाबाद किया था।
चलिए कुंभनगरी इलाहाबाद के बारे में विस्तार से जानते हैं खास बातें...
इलाहाबाद को 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) कहते हैं
इलाहाबाद का प्राचीन नाम प्रयाग ही था, इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा। भगवान श्री विष्णु के यहां बारह स्वरूप विध्यमान हैं, जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है।
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त्रिवेणी संगम
हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है।
रामचरित मानस और रामायण में वर्णन
प्रयाग का वर्णन तुलसीदास की रामचरित मानस और बाल्मिकी की रामायण में भी है, यही नहीं सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक पुराण मत्स्य पुराण के 102 अध्याय से लेकर 107 अध्याय तक में इस तीर्थ के महात्म्य का वर्णन है।
मुगल सम्राट अकबर ने दिया था 'इलाहाबाद' नाम
'अकबरनामा' और 'आईने अकबरी' और अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक ग्रंथों के मुताबिक इस शहर का नाम इलाहाबाद मुगलसम्राट अकबर ने 1583 में रखा था, जो कि अरबी और फारसी के दो शब्दों से मिलकर बना था, जिसमें से अरबी शब्द इलाह था (अकबर द्वारा चलाये गए नये धर्म दीन-ए-इलाही के सन्दर्भ से, अल्लाह के लिये) और फारसी से आबाद (अर्थात बसाया हुआ) शब्द लिया गया था जिसका अर्थ था 'ईश्वर द्वारा बसाया गया', या 'ईश्वर का शहर'।