15 अगस्त स्पेशल: दीपा मलिक वो नाम, जिसने हौंसलों के दम पर जीत ली दुनिया...
नई दिल्ली। मंजिलें उन्हें मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, परों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है...और ये बात पूरी तरह से फिट बैठती है भारत की महान एथलिट दीपा मलिक पर। 2016 पैरालंपिक में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतने वाली देश की इस बहादुर बेटी ने अपने हौंसलों, मेहनत और आत्मविश्वास से ये साबित कर दिया है कि डर के आगे केवल जीत है और सपनों को अगर खुली आंखों से देखो तो वो जरूर हकीकत में बदल जाते हैं।
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दीपा ने साल 2016 पैरालंपिक के शॉटपुट इवेंट में देश के लिए सिल्वर मेडल जीतकर कामयाबी की एक नई परिभाषा लिखी थी। वो पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। शॉटपुट में दीपा मलिक ने छठे प्रयास में 4.61 का स्कोर बनाकर सिल्वर मेडल जीता था।
वो चल नहीं सकतीं
लेकिन ये सब दीपा के लिए बिल्कुल आसान नहीं था, 30 सितंबर 1970 को सोनीपत, हरियाणा में जन्मींं, दीपा मलिक को मात्र 30 साल की उम्र में लकवा मार गया और जिससे उनके कमर के नीचे का पूरा हिस्सा पैरेलाइज्ड हो गया था, उनकी तीन बार सर्जरी हुई लेकिन इसके बाद भी वो चल नहीं सकतीं हैं। इन सब के बावजूद उन्होने न केवल शॉटपुट एवं ज्वलीन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है।
33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक
उन्होंने भारत की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक प्राप्त किये हैं। वे भारत की ऐसी पहली महिला हैं,, जिन्हें हिमालय कार रैली में आमंत्रित किया गया था। साल 2008 और 2009 में उन्होंने यमुना नदी में तैराकी और स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर दो बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया। यही नहीं, सन् 2007 में उन्होंने ताइवान और 2008 में बर्लिन में जवेलिन थ्रो तथा तैराकी में भाग लेकर रजत और कांस्य पदक प्राप्त किया। कोमनवेल्थ गेम्स की टीम में भी वे चयनित की गई। पैरालंपिक खेलों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हे भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया है।
रिटायर्ड कर्नल बिक्रम सिंह की वाइफ
47 साल की दीपा मलिक, रिटायर्ड कर्नल बिक्रम सिंह की वाइफ हैं। वहीं उनके पिता कर्नल बीके नागपाल भी आर्मी में ही थे। दीपा की फैमली में हसबैंड के अलावा दो बेटियां हैं। उनकी बड़ी बेटी का नाम देविका है और छोटी बेटी का नाम अम्बिका है।
183 टांके लगे थे
एक स्पोर्ट्स पर्सन होने के अलावा दीपा एक एंटरप्रेनर भी रही हैं। उन्होंने 7 सालों तक कैटरिंग और रेस्टोरेंट बिजनेस भी किया है। आपको जानकर हैरत होगी कि जिस वक्त दीपा बिस्तर पर थीं, उस वक्त उनके पति कर्नल विक्रम सिंह कारगिल में देश के लिए जंग लड़ रहे थे। उस दौरान ही दीपा की स्पाइनल ट्यूमर सर्जरी हुई थी और उनको 183 टांके लगे थे।
इंस्पिरेशनल स्पीकर
दीपा एक मोटिवेशनल और इंस्पिरेशनल स्पीकर भी हैं। वे अलग-अलग इवेंट्स में लोगों को मोटिवेट करने के लिए स्पीचेस देने जाती रहती हैं। वे पहली इंडियन लेडी हैं जिन्हें मोडिफाई व्हीकल चलाने का लाइसेंस मिला था।