जानिए क्या है मर्स वायरस, उसके लक्षण व बचाव
मिडिल ईस्ट देशों में फैला वायरस जोकि धीरे-धीरे अन्य देशों में फैल रहा है अब एक बड़ी चुनौती बन गया है। मिडिल ईस्ट में पैदा होने की वजह से इस वायरस को मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। यह वायरस सीधे फेफड़ों और श्वांस नली पर असर डालता है, जिसके चलते खासी और और सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत होती है।
10
में
से
3-4
लोगों
की
मौत
हो
जाती
है
इस वायरस के चपेट में आने के चलते 10 में 3 से 4 मरीज मर जाते हैं। सबसे पहले मर्स वायरस से मरने का मामला सउदी अरब में सितंबर 2012 में सामने आया था। हालंकि कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि मर्स का पहला मामला जॉर्डन में अप्रैल 2012 में सामने आया था। लेकिन यह बात सुनिश्चित है कि पहला मामला सउदी अरब के प्रायद्वीप में ही सामने आया था। मर्स वायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है।
मर्स
के
लक्षण
मर्स वायरस इससे पीड़ित लोगों के करीब आने से फैलता है, लेकिन अभी तक इस वायरस के नये होने के चलते किसी भी बात के बारे में पुख्ता रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। मर्स इलाज के लिए बने सेंटर फॉर डिज़ीज कंट्रोल के अनुसार यह पुरानी खांसी की बीमारी की तरह लगता है जिसमें बुखार आता है और कफ की शिकायत होती है, साथ ही सांस लेने में दिक्कत होती है।
शुरुआती
शिकायतें
लेकिन कुछ मरीजों में यह बड़ा रूप ले लेती है जिसमें मरीज को उल्टी आना, मिचली आना जैसी शिकायते होती है जिसके चलते उन्हें निमोनिया की शिकायत होती है फिर किडनी फेल होने की वजह से उनकी मौत भी हो जाती है।
अबतक
439
लोगों
की
जान
ले
चुका
है
डब्ल्यूएचओ के मार्च तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक कुल 1082 मामलों में 439 लोगों की मौत मर्स वायरस की चलते हो चुकी है, जिसमें सबसे ज्यादा मामले सउदी अरब के हैं। वहीं सउदी अरब के बाद इसका सबसे ज्यादा प्रकोप साउथ कोरिया में देखने को मिल रहा है।