वायु प्रदूषण देश के लिए कैंसर...रोका नहीं तो हो जायेगा जानलेवा
आकाश यादव
नई दिल्ली। आज हम वायु प्रदूषण जैसी समस्या से जूझ रहे हैं, यह एक ऐसा ज़हर है जो इंसानी शरीर और जानवरों की जीवन प्रणाली में हवा के माध्यम से प्रवेश करता है और अनगिनत बीमारियों को जन्म देकर इनको अन्दर से खोखला कर देता है।
दिल्ली की तरह बैंगलुरु में भी लागू हो सकता है ऑड-इवन फॉर्मूला
शरीर के लिए एक यह एक तरह का कैंसर है। वायु प्रदूषण का अर्थ है हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड ,सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा का विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों से अधिक हो जाना यह हवा की गुणत्ता को बेहद ही ख़राब और प्रदूषित कर देता है।
वायु प्रदूषण देश के लिए कैंसर
वाहनों के परिचालन की वजह से शहरों में प्रदुषण की दर गाँव की तुलना में अधिक है। पिछले साल के अप्रैल महीने में प्रधानमन्त्री द्वारा ‘राष्ट्रीय एयर क्वालिटी इंडेक्स' (AQI) प्रणाली का शुभारम्भ किया गया। जो की हवा की गुणवत्ता मापने का एक वैश्विक मानक है इसे उन शहरों में लागू किया जाएगा जिनकी जनसँख्या 10 लाख से अधिक है और शुरुआत इसकी 10 प्रमुख शहरों से की गयी थी।
गांव से ज्यादा शहर प्रदूषित
इन दस में उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में आगरा, लखनऊ, कानपुर, बनारस, मेरठ शामिल हैं, इसके लागू होने के बाद से ही इसके नतीजे बेहद ही चौकाने वाले थे जहां दिल्ली की आबोहवा को विश्व का सबसे प्रदूषित शहरों को होड़ में प्रथम स्थान पर पाया गया वहीं ,उत्तर प्रदेश की राजधानी एवं नवाबों का शहर लखनऊ भी पीछे ना रहा।
दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर
दिसम्बर के महीने में लखनऊ ने दिल्ली को पछाड़ते हुए देश का सबसे प्रदूषित शहर होने का खिताब अपने नाम दर्ज किया। जिसका इंडेक्स वैल्यू 471 रहा, वहीं दिल्ली इस क्रम में चौथे नंबर पर फिसल गयी। जिसकी इंडेक्स वैल्यू 382 मापी गयी .इसमें और भी चौंकाने वाली बात यह रही कि दुसरे पायदान पर भी उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर का कब्ज़ा रहा जिसकी इंडेक्स वैल्यू 429 के करीब पाई गयी।
प्रदूषित वायु करती है फेफड़े खराब
साथ ही साथ आपको ये भी बताते चलें की इंडेक्स वैल्यू 150 से अधिक होने पर उस शहर की हवा स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होती है। अब आप आसानी से इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए खतरे का स्तर माप सकते हैं, कि जिस शहर में आप रह रहे हैं वहाँ की हवा आपके स्वास्थय के लिए कितनी नुकसानदायक है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर्यावरण प्रेमी
यूँ तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर्यावरण प्रेमी हैं , जिसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पौधरोपण के लिए उनकी सरकार का नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। लेकिन अब मुख्यमंत्री जी को दिल्ली सरकार के नक़्शे कदम पर चलते हुए सख्त कार्यवाही करने की जरुरत है ताकि समय रहते इस समस्या से निजात पाई जा सके।
Positive India: एक बार समझिये तो क्या है दिल्ली सरकार का ऑड-इवेन फार्मूला
वैसे दिल्ली की तुलना में उत्तर प्रदेश जनसँख्या एवं क्षेत्रफल में बहुत बड़ा है तो यह अखिलेश की कार्यशाली की अग्नि परीक्षा होगी की वह किस तरह सम विषम जैसे किसी फार्मूले को अमलीजामा दे पाते हैं या नहीं वैसे राजधानी लखनऊ में साईकिल ट्रैक का निर्माण करके मुख्यमंत्री ने पर्यावरण प्रदुषण के प्रति जागरूकता बढाने की पहल तो की है मगर जहाँ प्रदेश का हर दूसरा शहर इस भयानक समस्या से ग्रस्त है ,ऐसे में और कई ठोस कदम एक बड़े पैमाने पर उठाने की उन्हें आवश्यकता है तथा पर्यावरण संरक्षण की ओर आमजन को भी सामूहिक पहल करने की जरुरत है। तभी इस कैंसर जैसी समस्या से मुकाबला किया जा सकता है।