Rabindranath Tagore birthday: इन 4 महिलाओं का रहा रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन पर काफी असर, जानिए उनके बारे में
नई दिल्ली। गुरुदेव के नाम से मशहूर रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में जोरासंको हवेली में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर सिर्फ एक कवि ही नहीं बल्कि संगीतकार, चित्रकार और लेखक भी थे, साहित्य को देश से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नई पहचान दिलाने वाले पहले नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने दो देशों के राष्ट्रगानों को अपनी कलम से संवारा है, जी हां भारत के राष्ट्रगान के अलावा गुरुदेव ने बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' को भी लिखा था।
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रविंद्र नाथ टैगोर की लेखनी में प्रेम, वियोग और दर्द का समावेश ...
रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़े ऐसे बहुत से पहलू हैं जिनके बारे में आज तक किसी को पता नहीं, रविंद्र नाथ टैगोर की लेखनी में प्रेम, वियोग और दर्द का समावेश है, ऐसा माना जाता है कि इस महान लेखक के जीवन में भी महिलाओं और प्रेम का काफी व्यापक असर था, जो कि उनकी लेखनी में भी दिखता था, हालांकि ये विवादित विषय ही रहा है, कुछ वक्त पहले इस विषय पर फिल्म की भी बात हुई थी।
आइए एक नजर डालते हैं उन चार महिलाओं पर, जिन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की लाइफ में अहम रोल निभाया लेकिन जिनकी भूमिकाओं पर आज भी खुलकर बातें नहीं होती हैं लेकिन रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाओं में उनका जिक्र है...
कादम्बरी देवी
ये रिश्ते में रवींद्रनाथ टैगोर की भाभी थीं, दरअसल गुरुदेव की मां बहुत कम उम्र में गुजर गईं थी, 7 साल के रवींद्रनाथ को दोस्ती 12 साल की कादंबरी देवी ,जो कि उनके बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ की पत्नी और परिवार की बालिका वधू थीं, से हो गई थी, हालांकि बड़े होने पर इस रिश्ते को संदेह की नजरों से देखा जाने लगा तो रवींद्र के पिता देवेंद्र बाबू ने रवींद्रनाथ की शादी करवाने का फैसला लिया, 1884 में 22 साल के रवींद्र की शादी 10 साल की मृणालिनी से करवा दी गई,इसके 4 महीने बाद 19 अप्रैल, 1884 को कादंबरी ने जहर पी लिया, 21 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। कादंबरी की मौत के बाद रवींद्रनाथ ने एक कविता की किताब लिखी जिसका नाम था 'भांगा हृदय' (टूटा दिल)।
अन्नपूर्णा तुरखुद
1878 में 17 साल के रवींद्रनाथ को इंग्लैंड जाना था, उससे पहले उनके भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर ने उनको बॉम्बे के डॉ. आत्माराम पांडुरंग तुरखुर्द के घर पर दो महीने के लिए भेजा गया, अंग्रेजी पढ़ने के लिए, जहां डॉक्टर की 18 साल की बेटी अन्नपूर्णा थीं, जो कि रवींद्रनाथ से काफी प्रभावित हो गई थीं, कहा जाता है कि उन्हें एकतरफा प्रेम हो गया था लेकिन ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ पाया दत्ता और रॉबिन्सन की लिखी किताब 'मैरिएड माइंडेड मैन' में इस बात का जिक्र है।
मृणालिनी देवी
एक समर्पित पत्नी और मां की तरह वो टैगोर के साथ अपनी पूरी जिंदगी चलती रहीं, जिस वक्त उनकी शादी हुई थी उस वक्त उनकी उम्र दस साल थी, उनके पांच बच्चे हुए, 29 साल की उम्र में 1891 में वो बीमारी के कारण चल बसीं, रवींद्रनाथ ने बाद में मृणालिनी को समर्पित करते हुए उन्होंने 'समर्पण' लिखी थी।मृणालिनी ने बांग्ला, संस्कृत और अंग्रेजी की पढ़ाई की. रामायण का अनुवाद किया था।
विक्टोरियो ओकाम्पो
63 साल के रवींद्रनाथ टैगोर की दोस्ती अर्जेंटीना में 34 साल की महिला विक्टोरिया ओकॉम्पो से हुई, जिन्होंने कविराज रवींद्रनाथ टैगोर को कुशल पेंटर बना दिया, अपने संगीत में गुरुदेव ने अपनी इस विदेशिनी (जिसे वो विजया कहते थे) को एक खास जगह दी है, उन्होंने ही उनके लिए लिखा था 'आमी सूनेची आमी चीनी गो चीनी तोमारे ओ गो विदेशिनी, तूमी थाको सिंधु पारे ओगो विदेशिनी।' ( हां, मैंने सुना है मैं पहचानता हूं तुम्हें ओ विदेशिनी, तुम नदी के पार रहती हो न विदेशिनी)